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हाईकोर्ट : गड्ढों के लिए जिम्मेदारों पर दर्ज हो मामला, 474 लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सड़क पर गड्ढे और उनसे होने वाली दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठेकेदारों और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ जांच करके आपराधिक मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। गुरुवार को न्यायमूर्ति जेड.ए.हक और न्यायमूर्ति पुष्पा गनेड़ीवाला के समक्ष सू-मोटो फौजदारी रिट याचिका पर सुनवाई हुई। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने पुलिस से जिम्मेदार ठेकेदारों, अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने पर भूमिका स्पष्ट करने के आदेश दिए थे। जवाब में पुलिस आयुक्त भूषण कुमार उपाध्याय ने शपथपत्र में कोर्ट को जानकारी दी कि बीते पांच महीने में गड्ढों के कारण 22 हादसे हुए हैं, जिसमें एक व्यक्ति की मृत्यु और 28 लोग जख्मी हुए हैं। इस मामले में संबंधित ठेकेदारों और आधिकारियों के खिलाफ भादवि 166, 283, 217 और 304-ए के तहत मामला बनता है। पुलिस आयुक्त ने कोर्ट को बताया कि ट्रैफिक सेल और ट्रैफिक उपायुक्त ने बार-बार मनपा, एनएचएआई, पीडब्लूडी, महामेट्रो और संबंधित अन्य विभागों को पत्र लिख कर बार-बार गड्ढे बुझाने की सूचना भी दी, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। पुलिस ने अपने शपथपत्र में इसका उल्लेख नहीं किया कि उन्होंने इन मामलों में कितने ठेकेदारों, अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी दर्शाई। कोर्ट ने पुलिस और मनपा दोनों को जम कर लताड़ भी लगाई। कोर्ट ने पुलिस को 22 हादसों की जांच करके ठेकेदारों अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि प्रशासन ने शहर की इस ज्वलंत समस्या को कोई महत्व नहीं दिया। यातायात विभाग द्वारा संबंधित विभागों को पत्र भेजने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूरा महकमा गड्ढों की समस्या और हादासों पर मूकदर्शक बना रहा, लेकिन पुलिस ने इन प्रकरणों में आपराधिक मामले दर्ज क्यों नहीं िकए, यह समझ के परे है। काम खत्म होने के बाद खुदी हुई सड़क को पहले जैसा नहीं करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ मनपा को कार्रवाई करनी थी, जो नहीं की गई। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को रखी है। मामले में न्यायालयीन मित्र एड. राहिल मिर्जा को एड. परवेज मिर्जा ने सहयोग किया। मनपा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस.के. मिश्रा और राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील सुमंत देवपुजारी ने पक्ष रखा।
नियमों का उल्लंघन करने वाले 474 लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी
इसके अलावा ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर केंद्रित सू-मोटो जनहित याचिका पर गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई, जिसमें आरटीओ ने हाईकोर्ट को जानकारी दी कि यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले 474 लोगों के जब ड्राइविंग लाइसेंस चेक किए गए, तो उनका कोई रिकॉर्ड आरटीओ के पास नहीं मिला। मतलाब साफ है कि ये सभी ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी हैं। इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई में इस पर विस्तार से सुनवाई लेने का निर्णय लिया है। तब तक मामले से जुड़े सभी पक्षों को इस पर अपनी भूमिका तैयार रखने को कहा है। बता दें कि शहर की ट्रैफिक की समस्या पर हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित कर रखी है। मुख्य सचिव ने विभागीय आयुक्त की उपसमिति स्थापित की है। हाईकोर्ट के पिछले आदेश पर आरटीओ ने अपने शपथपत्र में आगे बताया है कि 31 मई तक शहर में 17 लाख 8 हजार 500 वाहनों का पंजीयन हुआ है। वर्ष 2018 में यातायात पुलिस ने 1 हजार 529 वाहनों पर कार्रवाई का प्रस्ताव भेजा था। कार्रवाई करते हुए आरटीओ ने 783 लोगों के लाइसेंस निलंबित किए, 248 लोगों के प्रकरण आरटीओ उपायुक्त, नागपुर पूर्व की ओर, 18 नागपुर ग्रामीण और 6 वर्धा कार्यालय को भेजे गए। शेष 373 वाहन चालकों के लाइसेंस का कोई लेखा-जोखा नहीं मिला, ऐसे में वे बनावटी पाए गए हैं। वर्ष 2018 में 2 हजार 454 मामलों में से 1 हजार 272 लोगों के लाइसेंस निलंबित किए गए। ड्रंक एंड ड्राइव, तेज गाड़ी चलाने और गाड़ी चलाते वक्त फोन पर बात करने वाले इसमें शामिल हैं। वर्ष 2019 के जनवरी और फरवरी में यातायात पुलिस ने 563 प्रकरण आरटीओ को भेजे, जिसमें 154 लोगों के लाइसेंस निलंबित किए गए और 117 प्रकरणर उप क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, नागपुर पूर्व को भेजे गए। 173 प्रकरण पर कार्रवाई जारी है। 119 लोगों के लाइसेंस का रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है। इस पर अब कोर्ट विस्तार से सुनवाई लेगा।
पुलिस निरीक्षक पिदूरकर के खिलाफ बैठेगी जांच, हाईकोर्ट का आदेश
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने जमानती आरोपियों से पैसे मांगने के आरोपों में घिरे लकड़गंज पुलिस थाने के निरीक्षक भानुदास पिदूरकर की जांच पुलिस आयुक्त या वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से करने के आदेश जारी किए है। अग्रिम जमानत पर चल रहे दो आरोपियों से थाने में हाजरी दर्शाने के एवज में पैसे मांगने का पिदूरकर पर आरोप है। हाईकोर्ट ने उन्हें मूल प्रकरण की जांच से हटा कर पुलिस उपायुक्त को सौंप दिया है। साथ ही पिदूरकर के खिलाफ जांच कर 16 अक्टूबर तक रिपोर्ट मंगाई है। लकड़गंज पुलिस थाने में दीना दास और नीरव सांघवी के खिलाफ भादंवि 406, 420 और 34 का मामला दर्ज था। इस मामले में हाईकोर्ट ने आरोपियों को अंतरिम अग्रिम जमानत देते हुए निमयित रूप से लकड़गंज पुलिस में हाजरी लगाने के आदेश दिए थे। आरोपियों ने 28 अगस्त के आदेश के मुताबिक पुलिस थाने में हाजरी लगाई और डायरी प्रस्तुत की। लेकिन इसी थाने के उपनिरिक्षण हरीचंद इंगोले द्वारा दायर शपथपत्र में 27 जुलाई से 2 सितंबर तक आरापियों को अनुपस्थित दर्शाया गया। ऐसे में आरोपियों द्वारा प्रस्तुत डायरी के हस्ताक्षर झूठे होने का दावा भी सरकारी वकील की ओर से हाईकोर्ट में किया गया। इसके बाद दोनों आरोपियों ने अपने शपथपत्र कोर्ट में प्रस्तुत किए। जिसमें जांच अधिकारी भानुदास पिदूरकर पर पैसे मांगने के आरोप लगाया। मामले में एसीबी में भी अधिकारी की शिकायत भी की गई। इस मामले का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने आदेश जारी किया। आरोपियों की ओर से एड. देवेंद्र चौहान और सरकार की ओर से सरकारी वकील नितीन रोडे ने पक्ष रखा।
वाड़ी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने पर जवाब दो
अंबाझरी तालाब में ऑक्सीजन की कमी से मर रहीं मछलियों के मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ द्वारा दायर सू-मोटो जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। वाड़ी नगर परिषद ने अपना शपथपत्र प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया कि अपने क्षेत्र में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए महाराष्ट्र जीवन विकास प्राधिकरण को 35 लाख रुपए भेज दिए गए हैं। इसके पूर्व उन्होंने प्राधिकरण को 17 लाख रुपए अदा किए थे। ऐसे में अब हाईकोर्ट ने प्राधिकरण को सोमवार तक अपना शपथपत्र प्रस्तुत करने के आदेश दिए है। पर्यावरणविदों के अनुसार बगैर प्रोसेस किए ही उद्योगों के रसायनयुक्त पानी को अंबाझरी तालाब में छोड़ा जा रहा है। नजदीकी रिहायशी इलाकों से भी प्रदूषित जल अंबाझरी में मिल रहा है। वाड़ी नगर परिषद मंे सीवेज ट्रीटमंेट प्लांट नहीं होने से सीवेज का सारा पानी तालाब में मिल रहा है। इससे समय के साथ-साथ तालाब में ऑक्सीजन की कमी हो गई, जिससे मछलियां मरने लगीं। तालाब के किनारे जब मरी हुई मछलियों का ढेर इकट्ठा हुआ, तो यह मुद्दा चर्चा में आया। मामले में नासुप्र की ओर से एड. गिरीश कुंटे, परिषद की ओर से एड. मोहित खजांची और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से एड. एस.एस सान्याल ने पक्ष रखा।
अनधिकृत निर्माणकार्य पर बिल्डर से मांगा जवाब
बिजली के तारों से छू कर बच्चों की मौत के बाद हाईकोर्ट ने लिया था संज्ञान
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सुगतनगर की आर्मर टाउनशीप में अनधिकृत निर्माण करने वाले आर्मर बिल्डर्स से जवाब मांगा है। शहर में कुछ वर्ष पूर्व दो छोटे बच्चों की हाईटेंशन तारों के संपर्क में आने से मृत्यु हो गई थी। वे इसी टाऊनशीप के ही थे। इसके बाद भी ऐसे अन्य मामले सामने आए थे, जिसके बाद कोर्ट ने सूू-मोटो जनहित याचिका दायर की थी। इस मामले में मदद के लिए एक विशेष समिति गठित की गई थी। समिति ने शहर में अनेक निर्माण कार्य नियमों के विरुद्ध पाए। हाईकोर्ट की विशेष समिति ने कोर्ट को बताया था कि उन्हें 3934 परिसरों में बिजली नियमों का उल्लंघन होता मिला था। इसमें 3100 रिहायशी, 650 व्यावसायिक और 122 औद्योगिक इकाइयों का समावेश है। इसमें से 90 प्रतिशत लोगों ने मंजूर प्रारूप का उल्लंघन कर निर्माण कार्य किया है। हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण गिराने के आदेश जारी किए थ्ज्ञे। हाईकोर्ट के आदेश पर सुगतनगर स्थित आर्मर टाउनशिप के अनधिकृत निर्माणकार्य को भी प्रशासन ने तोड़ दिया है। टाउनशिप निवासियों की अर्जी को हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया था। मामले में दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी। एड.श्रीरंग भंडारकर न्यायालीन मित्र है। मनपा की ओर से एड.सुधीर पुराणिक ने पक्ष रखा।
Created On :   4 Oct 2019 4:29 PM IST