पत्नी के चाहने पर नहीं नियुक्त कर सकते पति का संरक्षक, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका 

High court dismissed the petition of wife demanding guardianship of husband
पत्नी के चाहने पर नहीं नियुक्त कर सकते पति का संरक्षक, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका 
पत्नी के चाहने पर नहीं नियुक्त कर सकते पति का संरक्षक, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने पत्नी को मानसिक बीमारी से ग्रसित अपने पति का संरक्षक नियुक्त करने से इंकार कर दिया है। पत्नी ने याचिका में दावा किया था कि उसका पति मानसिक बीमारी से पीड़ित है, इसलिए वह अपना काम करने में सक्षम नहीं है। पत्नी अपने पति के नाम पर पंजीकृत फ्लैट को बेचने की इजाजत भी चाह रही थी। पति की मानसिक बीमारी को लेकर पत्नी ने मुंबई महानगरपालिका के अस्पताल में कार्यरत डाक्टर का प्रमाणपत्र भी याचिका के साथ जोड़ा गया था।

याचिका में पत्नी ने मांग की थी कि हाउसिंग सोसाइटी को उसके पति के फ्लैट को मेरे नाम पर स्थनांतरित करने का निर्देश दिया जाए। जस्टिस अभय ओक व जस्टिस एमएस शंकलेचा की बेंच के सामने याचिका पर सुनवाई हुई।

डाक्टरों की राय मांगी
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि याचिका में की गई मांग को स्वीकार करने का अर्थ है कि यह पुष्टि करना कि महिला का पति अपने नियमित कामकाज करने में सक्षम नहीं है। बेंच ने कहा कि कोई डिमेंसिया नाम की बीमारी से ग्रसित है। सिर्फ इस आधार पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि पीड़ित व्यक्ति खुद अपने काम नहीं संभाल सकता है। डिमेंसिया की बीमारी ने मरीज पर कितना असर डाला है, यह बीमारी के स्वरुप व स्तर पर निर्भर करता है। मानसिक रोगी मरीज यदि अपने काम खुद सही तरीके से कर सकता है तो उसके ठीक होने की भी संभावना रहती है।

बेंच ने कहा कि इस मामले में विशेषज्ञों व डाक्टरों की राय व सबूतों के बाद किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। याचिका में कई विवादित तथ्य हैं। ऐसी स्थिति में हम याचिका में की गई मांग पर विचार नहीं कर सकते। यह कहते हुए बेंच ने याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। बेंच ने याचिकाकर्ता को (पत्नी) इस मामले को लेकर सिविल कोर्ट में जाने को कहा है। 
 

Created On :   23 March 2019 2:56 PM GMT

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