विशेषज्ञ सदस्यों को प्रति दिन सिर्फ 300 रुपए देने के फैसले पर जताई नाराजगी 

High court expressed displeasure over the decision to give only Rs 300 per day to expert members
विशेषज्ञ सदस्यों को प्रति दिन सिर्फ 300 रुपए देने के फैसले पर जताई नाराजगी 
हाईकोर्ट विशेषज्ञ सदस्यों को प्रति दिन सिर्फ 300 रुपए देने के फैसले पर जताई नाराजगी 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने डाक्टर बाबा साहब आंबेडकर के भाषाण व लेखों के प्रकाशन के प्रोजेक्ट से जुड़ी कमेटी के विशेषज्ञों को दिए जानेवाले मानधन को लेकर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति किशोर संत की खंडपीठ ने कहा कि सरकार की ओर से कमेटी के सभी 10 गैर सरकारी सदस्यों को कुल मिलाकर प्रति माह दस हजार यानि रोजाना करीब 300 रुपए की मामूली रकम देने के फैसले को स्वागत योग्य कदम नहीं माना जा सकता है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने डाक्टर आंबेडकर के साहित्य के प्रकाशन से जुड़े प्रोजेक्ट के रुकने से जुड़ी खबर का स्वयं संज्ञान में लेते हुए उसे जनहित याचिका में परिवर्तित किया है। जिस पर गुरुवार को खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। 

इससे पहले खंडपीठ को बताया गया कि यदि दस हजार रुपए की रकम को दस व्यक्तियों में बांटा जाए तो यह रकम प्रति सदस्य तीन सौ रुपए होती है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि आखिर सरकार एक विशेषज्ञ को इतनी कम रकम कैसे दे सकती है। कम से कम सरकार विशेषज्ञों को उनके ज्ञान व रुतबे के हिसाब से तो भुगतान करे। सरकार की ओर से तय की गई रकम को स्वागतयोग्य कदम नहीं माना जा सकता है। 

अभी भी मिल रही 1971 वाली रकम 

इस दौरान खंडपीठ ने गैर सरकारी सदस्यों के लिए 1971 में तय किए यात्रा भत्ता की रकम ही अभी तक देने को लेकर भी अप्रसन्नता जाहिर की। इसके तहत यात्रा भत्ता के रुप में 250 रुपए तय किया गया था। जो कि तत्कालीन समय में सांसद व विधायकों को दिया जाता था। जबकि इस समिति के सदस्य महाराष्ट्र के दूर दराज के इलाके से आते है। खंडपीठ ने कहा कि इतनी कम रकम में कौन कमेटी की बैठक के लिए आएगा। 

साल 2013 में आंबेडकर के भाषण से जुड़ी मूल पांडुलिपी रखनेवाले लोगों ने सरकार को इसे सौपने को लेकर रजामंदी जाहिर की थी लेकिन सरकार ने अब तक उन्हें उनकी तय रकम का भुगतान नहीं किया है। इस पर खंडपीठ ने सवाल किया कि सरकार इन पांडुलिपियों को अपने पास संचित करना चाहती है कि नहीं? सुनवाई के दौरान सरकारी पूर्णीमा कंथारिया ने कहा कि सरकार सुनिश्चित करेगी कमेटी के लिए पर्याप्त निधि उपलब्ध हो। इस पर खंडपीठ ने कहा कि यह एक विसंगति है कि हम बाबा साहब आंबेडकर को अपनी श्रद्धांजलि तो देते है लेकिन उनका साहित्य भी प्रकाशन की बाट जोह रहा है। 

 

Created On :   4 Aug 2022 10:31 PM IST

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