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नागपुर में ही चलेगा घर खरीदने के विवाद का मुकदमा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। घर खरीदनेवाले से जुड़ा मुकदमा घर खरीदने वाले के शहर में ही चलेगा। बांबे हाईकोर्ट ने नागपुर में फ्लैट खरीदनेवाले राहुल देशमुख को राहत देते हुए यह फैसला सुनाया है। इसके साथ ही कोर्ट ने नागपुर के डेवलपर की याचिका को खारिज कर दिया है। देशमुख ने साल 2015 में नागपुर में हैगवुड कर्मशियल डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा साढ़े तीन एकड़ जमीन पर बनाए जानेवाले पलाजियो टॉवर की 12 वीं मंजिल पर 77 लाख 49 हजार 675 रुपए में 1408 वर्गफुट का फ्लैट बुक किया था, लेकिन फ्लैट सौपने में हुई देरी के चलते नागपुर निवासी देशमुख ने महाराष्ट्र रियल इस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (एमआरईआरए) मुंबई में शिकायत की। सुनवाई के बाद एथॉरिटी ने देशमुख के पक्ष में फैसला सुनाया और डेवलपर को देशमुख को 64 लाख 97 हजार 956 रुपए वापस करने को कहा।
अथॉरिटी ने डेवलपर को देशमुख के फ्लैट के लिए दिए गए पंजीयन शुल्क की प्रतिपूर्ति साधरण ब्याज के साथ करने के साथ ही अतिरिक्त 20 हजार रुपए का भुगतान करने का निर्देश भी दिया। हालांकि एमआरईआरए के सामने डेवलपर ने दावा किया कि देशमुख की ओर से पैसे के भुगतान में विलंब के चलते फ्लैट को सौपने में देरी हुई है। डेवलपर ने एमआरईआरए के आदेश को मुंबई अपीलिय ट्रिब्यूनल के सामने चुनौती दी। ट्रिब्यूनल ने सुनवाई के बाद डेवलपर की अपील को खारिज कर दिया। और डेवलपर को 4 मई 2021 तक सारी रकम जमा करने का निर्देश दिया। ट्रिब्यूनल के आदेश को डेवलपर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी।
न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक के सामने डेवलपर की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान फ्लैट खऱीदनेवाले देशमुख के वकील ने दावा किया कि मेरे मुवक्किल ने जो फ्लैट खरीदा है वह नागपुर में है। डेवलपर का प्रोजेक्ट नागपुर में है। फ्लैट खरीद से जुड़ा अनुबंध भी नागपुर मे हुआ है। फ्लैट के एवज में पैसे का भुगतान नागपुर में हुआ है। चूंकि एमआरईआरए का शिकायती मंच मुंबई में उपलब्ध है। इसलिए उन्होंने पहले मुंबई में शिकायत की थी। मेरे मुवक्किल नागपुर के निवासी है। ऐसे में यदि अब इस मामले से जुड़ी आगे की सुनवाई मुंबई में होगी तो उन्हें मुश्किल होगी। इसलिए अब इस प्रकरण को आगे की सुनवाई के लिए हाईकोर्ट की नागपुर की खंडपीठ के पास भेजा जाए। क्योंकि फ्लैट से जुड़े सारे लेन देन वहीं पर हुए है।
वहीं डेवलपर की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने दावा किया कि इस प्रकरण को लेकर आदेश जारी करनेवाली ट्रिब्यूनल मुंबई में स्थित है। शिकायतकर्ता (देशमुख) ने पहले मुंबई में शिकायत की थी। डेवलपर का पंजीकृत कार्यालय मुंबई में है। मामले को लेकर ट्रिब्यूनल के सामने हुई सुनवाई के सारे रिकार्ड मुंबई में है। इस लिहाजा से देखा जाए तो सारी गतिविधि यहीं हुई है। इसलिए इस मामले की सुनवाई बांबे हाईकोर्ट में की जाए। क्योंकि इसका अधिकारक्षेत्र उसके पास है। शिकायतकर्ता के पास मुंबई में सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने के लिए संसाधन मौजूद है।
इस तरह मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति कर्णिक ने पाया कि डेवलपर की नागपुर में 42 एकड जमीन है। जिसमें से साढे तीन एकड़ में करीब पांच टावर में चार सौ फ्लैट बनने है। इस मामले में फ्लैट खरीद से लेकर फ्लैट के अनुबंध से जुड़ी गतिविधि नागपुर मे हुई है। फ्लैट खरीदार नागपुर का निवासी है। डेवलपर का साइट ऑफिस नागपुर में है। चूंकि एमआरईआरए व अपीलीय ट्रिब्यूनल मुंबई में है। इसलिए शिकायतकर्ता मुंबई में आया है। इसके अलावा अनुबंध में डेवलपर ने कहा है कि विवाद की स्थिति में मामले की सुनवाई नागपुर कोर्ट में होगी। इसके मद्देनजर यदि मामले की सुनवाई मुंबई में होगी तो फ्लैट खरीददार को असुविधा व परेशानी होगी। इसलिए मेरी राय में इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की नागपुर की खंडपीट के सामने होनी चाहिए।
इस तरह से न्यायमूर्ति ने इस मामले को नागपुर स्थानांतरित करने से जुडा आदेश जारी करने के लिए प्रकरण को मुख्य न्यायाधीश के सामने रखने को कहा है। और डेवलपर के आग्रह पर न्यायहित में एमआरईआरए के पैसे जमा करने से जुडे आदेश पर 6 सप्ताह की रोक लगा दी है। देशमुख की ओर से अधिवक्ता देवेंद्र चौहान ने कोर्ट में पक्ष रखा।जबकि डेवलपर की ओर से अधिवक्ता श्याम दीवानी ने न्यायमूर्ति के सामने बात रखी।
Created On :   22 Sept 2021 6:26 PM IST