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सेवा के दौरान घायल होने के कारण नौकरी से निकाले गए बेस्ट कर्मी को मिली राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने नौकरी के दौरान सड़क दुर्घटना में घुटना क्षतिग्रस्त होने के कारण नौकरी से निकाले गए एक बस कंडक्टर को सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है। नौकरी से निकाले जाने के कारण पांच साल से परेशान सदाशिव गायकवाड़ को हाईकोर्ट ने मुंबई महानगपालिका के बेस्ट उपक्रम को चार माह के भीतर नौकरी देने का निर्देश दिया है। इससे पहले अपंग आयुक्त व सक्षम प्राधिकरण ने गायकवाड़ को नौकरी पर रखने का निर्देश दिया था। इस निर्णय के खिलाफ बेस्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसे न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव ने खारिज कर दिया है और बेस्ट को याचिकाकर्ता को 50 हजार रुपये मुआवजे के रुप में देने का निर्देश दिया है। 1993 में बेस्ट की सेवा में कंडक्टर के रुप मे नियुक्त होनेवाले गायकवाड़ मई 2011 में मोटरसायकल से दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। इस दौरान उनके एक घुटने पर गंभीर चोट आयी थी। मेडिकल जांच में वे 41 प्रतिशत दिव्यांग पाए गए थे। इसके साथ ही उन्हें मनपा के दो अस्पतालों ने कंडक्टर की नौकरी के लिए अयोग्य माना था जबकि ऑफिस से जुड़े कार्य के लिए उपयुक्त ठहराया था। इसके बाद गायकवाड़ ने बेस्ट से हल्का काम देने का आग्रह किया। 16 महीने के लिए उन्हें यह काम तो दिया गया पर जब उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाने का आग्रह किया तो उन्हें सितंबर 2015 में नौकरी से निकाल दिया गया और जांच के लिए अन्य अस्पताल भेजा गया। इससे परेशान गायकवाड़ ने अपंग आयुक्त के सामने आवेदन किया। आयुक्त ने गायकवाड़ के पक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले से असंतुष्ट बेस्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति ने बेस्ट की याचिका को खारिज कर दिया और मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद अपंग आयुक्त के निर्णय को सही पाया।
पुलिस के विरोध के बावजूद हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ रद्द किया दुष्कर्म का मामला
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस के विरोध के बावजूद दुष्कर्म के एक आरोपी के खिलाफ बलात्कार का मामला रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़ित ने आरोपी के समझौता कर लिया है। उसे मामला रद्द करने में कोई आपत्ति नहीं है। इसलिए मामले को रद्द किया जाता हैं। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि दुष्कर्म एक गंभीर व समाज के खिलाफ अपराध है। इसलिए शिकायतकर्ता की सहमति के बावजूद मामले को रद्द न किया जाए। केंद्र सरकार के उपक्रम में कार्यरत एक अधिकारी आरोपी के खिलाफ वही पर कार्यरत एक महिला अधिकारी ने दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि शादी का झांसा देकर आरोपी ने उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया है। किंतु कुछ समय बाद शिकायतकर्ता ने आरोपी के साथ समझौता कर लिया और हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि मामला रद्द किए जाने पर उसे आपत्ति नहीं है। उसने गलतफहमी में मामला दर्ज कराया था। आरोपी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल व शिकायतकर्ता ने सहमति से संबंध बनाए हैं। इसलिए इसे दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता हैं। शिकायतकर्ता के हलफनामे व मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में आरोपी के दोषी पाए जाने की संभावना कम है। ऐसे में पहले से पहले से बहुत से मामलों को सुन रही निचली अदालत के बोझ को बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए मामले को रद्द किया जाता हैं।
Created On :   12 Aug 2020 6:01 PM IST