पुणे होर्डिंग दुर्घटना को लेकर हाईकोर्ट ने रेलवे को जारी किया नोटिस, शीना बोरा केस- इलाज के बाद पीटर को भेजा जाए आर्थर रोड जेल

High Court issues notice to railway on Pune hoarding accident case
पुणे होर्डिंग दुर्घटना को लेकर हाईकोर्ट ने रेलवे को जारी किया नोटिस, शीना बोरा केस- इलाज के बाद पीटर को भेजा जाए आर्थर रोड जेल
पुणे होर्डिंग दुर्घटना को लेकर हाईकोर्ट ने रेलवे को जारी किया नोटिस, शीना बोरा केस- इलाज के बाद पीटर को भेजा जाए आर्थर रोड जेल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने शीना बोरा हत्याकांड मामले में आरोपी पीटर मुखर्जी को उपचार के बाद दोबारा जेल में भेजने को कहा है। पिछले दिनों अदालत के निर्देश पर पीटर को उपचार के लिए निजी अस्पताल में हृदय संबंधी उपचार के लिए भर्ती होने की इजाजत दी गई थी। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे ने पीटर के स्वास्थ्य को लेकर जेजे अस्पताल के विशेषज्ञ डाक्टरों की ओर से दी गई राय पर गौर करने के बाद कहा कि इलाज के बाद पीटर को फिर से जेल में भेज दिया जाए। गौरतलब है कि पिछले दिनों पीटर ने हार्ट की बायपास सर्जरी कराई थी। लेकिन दोबारा तबीयत बिगड़ने के चलते उसने कोर्ट से निजी अस्पताल में उपचार कराने की इजाजत मांगी थी। इसके बाद कोर्ट ने 17 जुलाई तक पीटर को अस्पताल में इलाज कराने की इजाजत दी थी। और जेजे अस्पताल के डाक्टरों से पीटर के स्वास्थ्य को लेकर रिपोर्ट मंगाई थी। 

हाईकोर्ट ने रेलवे को जारी किया नोटिस

बांबे हाईकोर्ट ने अपने परिसर में होर्डिंग लगाने और ऐसी होर्डिंग से होनेवाले हादसों के लिए पीड़ितों को मुआवजा देने के संबंध में नीति न बनाने के लिए रेलवे को नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ ने रेलवे को इस संबंध में आठ अगस्त तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। साल 2014 में रेलवे परिसर में लगाई जानेवाली होर्डिंग के नियमन के लिए नीति तैयार करने को लेकर पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसी साल होर्डिंग गिरने के चलते पुणे में दो लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजन को रेलवे ने पांच लाख रुपए व घायलों को मुआवजे के तौर पर एक लाख रुपए का भुगतान किया था। साल 2017 में भी एक हादसे के बाद हाईकोर्ट ने रेलवे को अपनी संपत्ति में लगाई जानेवाली होर्डिंग के नियंत्रण व होर्डिंग से होनेवाले हादसे के चलते जान गंवाने वालों को मुआवजा देने को लेकर नीति बनाने का निर्देश दिया था। मंगलवार को जब यह मामला खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आया तो खंडपीठ ने पाया कि रेलवे ने अब तक इस विषय पर नीति नहीं बनाई है। रेलवे की इस विफलता को देखते हुए खंडपीठ ने रेलवे को नोटिस जारी करते हुए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। 

ट्रैफिक के मसले पर सरकार को निर्देश देने से हाईकोर्ट का इंकार

बांबे हाईकोर्ट ने वाहनों के ट्रैफिक से जुड़े मुद्दे को नीतिगत मामला बताया है और इस संबंध में सरकार को निर्देश देने से इंकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि परिवहन विशेषज्ञ, आरटीओ व ट्रैफिक पुलिस से जुड़े लोग इस मामले में अपने विवेक का इस्तेमाल करे और नीति तैयार कर सरकार को सौपे। जिसके बाद सरकार इस नीति को अमल में लाने की दिशा में कदम उठा सके। सामाजिक कार्यकर्ता भगवानजी रयानी ने मुंबई में ट्रैफिक के नियंत्रण के लिए महानगर में आनेवाले वाहनों से उचित कंजेशन टैक्स लेने का निर्देश देने, घंटे के हिसाब से पार्किंग की दर तय करने, पार्किंग शुल्क की वसूली के लिए कर्मचारी तैनात करने, टोइंग दल की संख्या बढाने, वाहन मालिकों को प्रदूषण सेस का भुगतान करने व वाहन खरीदने के लिए पारिवारिक आय तय करने सहित कई मांगों को लेकर बांबे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिका में उठाए गए मुद्दे नीतिगत नजर आ रहे हैं। कोर्ट ने पहले से ही इस विषय को लेकर कमेटी गठित की है। कमेटी अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है। खंडपीठ ने कहा कि यह परिवहन विशेषज्ञों व ट्रैफिक तथा आरटीओ से जुड़े हुए लोगों का मामला है। खंडपीठ ने कहा कि मुंबई में ज्यादा भीडभाड़ व वाहन हैं, इस वजह से यहां पर किसी को न आने के लिए नहीं कहा जा सकता है। यह कहते हुए खंडपीठ ने याचिका को समाप्त कर दिया। 

Created On :   16 July 2019 3:48 PM GMT

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