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हाईकोर्ट : मेडिकल टीम के साथ विवाद करने वाले को 10 हजार जमा करने का आदेश, आस्ट्रेलियाई नागरिक को जमानत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरोना से जुडी जानकारी इकट्ठा करने आयी स्थानीय निकाय की टीम के काम में अवरोध पैदा करने को दुर्भाग्यपूर्ण कृत्य बताया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में आरोपी जफर खान को जमानत तो दे दी है पर उसे मुख्यमंत्री राहत कोष में दस हजार रुपये जमा करने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि आरोपी चार सप्ताह में दस हजार रुपये राहत कोष में जमा नहीं करता है तो उसे जमानत देने का आदेश निष्प्रभावी हो जाएगा। न्यायमूर्ति भारती डागरे के सामने मीरारोड निवासी खान के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आरोपी ने कोरोना से जुडी जानकारी इकट्ठा करने गए स्थानीय निकाय के स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों के काम मे अवरोध पैदा किया है। जिसमें डॉक्टर भी शामिल थे। आरोपी ने न सिर्फ अपनी बिल्डिंग में स्वास्थ्य कर्मियों की टीम को आने से रोका था बल्कि बगल की हाउसिंग सोसायटी के लोगों को भी भड़काया था। आरोपी जहां रहता है वहां पर कतर से यात्रा कर लोगों के आने की जानकारी मिली थी। इसलिए स्थानीय निकाय की टीम वहां जांच के लिए गई थी।
वहीं आरोपी के वकील सिद्देश सेमल ने कहा कि लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में भ्रम की स्थिति पैदा होने के चलते यह घटना घटी है और पुलिस ने मामला दर्ज कर मेरे मुवक्किल को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल पर लगाई गई धाराए संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं करती है। इसलिए उन्हें जमानत प्रदान की जाए। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने आरोपी के कृत्य को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि आरोपी ने ऐसे समय गैरजिम्मेदाराना बर्ताव किया है जब नागरिकों से अपेक्षा की जाती है कि वे कोरोना के संक्रमण को रोकने में लगे पुलिस व स्वास्थ्यकर्मियों के साथ सहयोग करे। चूकि आरोपी पर जमानती धाराए लगाई गई हैं इसलिए हम उसे जमानत देते हैं पर उसे मुख्यमंत्री राहतकोष में दस हजार रुपये जमा करना होगा।
मास्क न लगाने वाले डाक्टर को मिली अग्रिम जमानत, होमगार्ड ने दर्ज कराई थी शिकायत
इसके अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट ने मास्क लगाने को लेकर बंदोबस्त में लगे होमगार्ड से विवाद के मामले में आरोपी एक डॉक्टर को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर अग्रिम जमानत दे दी है। कोल्हापुर के डॉक्टर शेखर संदी के खिलाफ बंदोबस्त की ड्यूटी में लगे होमगार्ड ने 29 मार्च 2020 को पुलिस में भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 353 व 506 के तहत मामला दर्ज कराया था। मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए आरोपी संदी ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत दायर की थी। इससे पहले निचली अदालत ने आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया था। न्यायमूर्ति भारती डांगरे के सामने जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी डॉक्टर के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने होमगार्ड के साथ मारपीट नहीं की है। इसके अलावा होमगार्ड जब ड्यूटी पर था तो उसने यूनिफॉर्म नहीं पहना था। इस मामले में संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं होता है। इसलिए आरोपी को जमानत दी जाए। सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी को मास्क पहन कर बात करने के लिए कहा था। इसके बाद आरोपी भड़क गया। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। न्यायमूर्ति ने आरोपी को मामले से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करने को कहा।
जमानत पर छूटी आस्ट्रेलियाई नागरिक को 6 माह के लिए स्वदेश जाने की मिली अनुमति
वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरोना के प्रकोप के मद्देनजर विमानो के उड़ानों पर लगाई गई पाबन्दियों के बीच भारतीय मूल की ऑस्ट्रेलियाई नागरिक को 6 माह के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने की इजाजत दे दी है। आपराधिक मामले का सामना कर रही ऑस्ट्रेलियाई नागरिक सैड्रा डिमोलो फिलहाल जमानत पर हैं। जमानत की शर्तों के मुताबिक वह अदालत की अनुमति के बिना अपने देश नहीं जा सकती है। निचली अदालत ने उन्हें अनुमति देने से मना कर दिया था। लिहाजा उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में डिमोलो ने एक साल के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने की इजाजत मांगी थी। याचिका के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया की सरकार अपने नागरिकों को स्वदेश ले जाने के लिए हवाई जहाज की व्यवस्था कर रही है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया सरकार की ओर से 28 व 29 अप्रैल 2020 को मुंबई सहित अन्य जगहों से फ्लाइट की व्यवस्था की गई थी। अब दोबारा फिर से यह व्यवस्था की जाएगी। इसलिए याचिकाकर्ता ऑस्ट्रेलिया जाने की इच्छुक हैं।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकर्ता के वकील ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब मेरे मुवक्किल ने ऑस्ट्रेलिया जाने की अनुमति मांगी है। पिछले साल भी हाईकोर्ट ने मेरे मुवक्किल को सीमित समय के लिए शर्तो के साथ ऑस्ट्रेलिया जाने की इजाजत दी थी। मेरी मुवक्किल पुरानी सभी शर्तो का पालन करने के लिए तैयार है। याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने याचिकाकर्ता को 6 माह के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने की सशर्त इजाजत दे दी। न्यायमूर्ति ने याचिकाकर्ता को अपनी यात्रा से जुडी सारी जानकारी, मोबाइल नंबर व सोशल मीडिया के सभी संपर्क माध्यमों का ब्यौरा पुलिस व निचली अदालत (जहां मुकदमा चल रहा है) को देने को कहा है। ऑस्ट्रेलिया पहुचकर भारतीय दूतावास में महीने में एक बार जाए। इसके साथ वह वापस आने के बाद मुकदमे की सुनवाई में सहयोग करे। गौरतलब है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एमआईडीसी पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 465, 467, 468 , 469 व 471 के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने जांच पूरी कर आरोपी के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर दिया है।
Created On :   6 May 2020 6:46 PM IST