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महिला को गुजारा भत्ते से वंचित करने के आदेश को हाईकोर्ट ने किया रद्द
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें कहा गया था कि अतीत में महिला व्यभिचार में लिप्त पायी गई थी इसलिए उसके पास पति से गुजाराभत्ता मांगने का हक नहीं है। न्यायमूर्ति पीडी नाईक ने अपने आदेश में कहा है कि सत्र न्यायालय को इस बात पर विचार करना चाहिए था कि ऐसी स्थिति न बने कि पति एसोआरम का जीवन जीए और पत्नी अभाव में जीवनयापन करे। इस मामले में सत्र न्यायालय की ओर से दिया गया आदेश अपरिपक्व व अनपेक्षित नजर आता है। क्योंकि अभी भी महिला की ओर से पति के खिलाफ की गई घरेलू हिंसा की शिकायत मजिस्ट्रेट कोर्ट में लंबित है।
मामले से जुड़े दंपति की साल 2007 में विवाह हुआ था। साल 2020 में महिला ने अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पति को महिला को अंतरिम गुजारे भत्ते के रुप में 75 हजार रुपए और 35 हजार रुपए घर के किराए के रुप में भुगतान करने को कहा था। दिसंबर 2021 में पति की ओर दायर किए आवेदन पर सत्र न्यायालय ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को बदल दिया। इसलिए महिला ने हाईकोर्ट में अपील की।
न्यायमूर्ति नाईक के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान पत्नी की ओर से पैरवी कर रहे वकील काशिफ खान ने कहा कि मेरे मुवक्किल के पति एक बडा रेस्टोरेंट चलाते है। और एसोआराम से भरा जीवन जी रहे है। अधिवक्ता खान ने कहा मेरे मुवक्किल ने अपने पति के एक दोस्त के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया है। वहीं पति ने अपने वकील के माध्यम से दावा किया कि उससे अलग रह रही पत्नी उसके दोस्त के साथ व्यभिचार में लिप्त है। ऐसे में उसे गुजाराभत्ता नहीं दिया जाना चाहिए। महिला द्वारा दर्ज की गई एफआईआर झूठी है। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने व दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने इस मामले में सत्र न्यायालय के फैसले को अपरिपक्व माना। क्योंकि अभी भी महिला की घरेलू हिंसा कानून के तहत मामला लंबित है।
Created On :   14 Aug 2022 9:44 PM IST