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सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज की जमीन मेट्रो परियोजना के लिए देने पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज की 26 एकड़ जमीन मेट्रो के प्रस्तावित प्रोजेक्ट के लिए पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) को दिए जाने के निर्णय पर सवाल उठाए है। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे इस मामले में बार्टर (अदल-बदल करना) किया गया है। कॉलेज के पूर्व छात्रों के संगठन ने इस बारे में कोर्ट में याचिका दायर की है। जिसमें सरकार के 27 अगस्त 2019 को जमीन देने के निर्णय को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि निधि उपलब्ध कराने की बजाय सरकार ने पीएमआरडीए को जमीन दी है। सरकार को इस परियोजना के लिए 812 करोड़ रुपए देना था। लेकिन यह निधि देने की बजाय सरकार ने पीएमआरडीए को जमीन दी है। जिससे पीएमआरडीए निधि जुटा सके।
याचिका पर गौर करने के बाद मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता खंडपीठ ने कहा कि सरकार ने इस मामले में एक तरह का बार्टर किया है। क्या ऐसा बार्टर कानूनी रुप से सही है। खंडपीठ ने कहा कि आज सरकार ने काफी पुराने कालेज की जमीन मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए निधि के एवज में दी है, कल को वह (सरकार) दूसरे प्रोजेक्ट के लिए कोई और जमीन दे देगी। यह कहा तक उचित है।
खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले में जमीन अधिग्रण को लेकर सभी पक्षकारों को स्थिति यथावत रखने को कहा है। इसके साथ ही राज्य सरकार व पीएमआरडीए को मामले में हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 8 दिसंबर 2020 तक टाल दी है।
Created On :   16 Oct 2020 8:59 PM IST