हाईकोर्ट : आदिवासी विभाग में 6 हजार करोड़ का घोटाला, विभाग सचिव को लगी फटकार, किया तलब 

High Court: Rebuked to department secretary on Tribal department scam
हाईकोर्ट : आदिवासी विभाग में 6 हजार करोड़ का घोटाला, विभाग सचिव को लगी फटकार, किया तलब 
हाईकोर्ट : आदिवासी विभाग में 6 हजार करोड़ का घोटाला, विभाग सचिव को लगी फटकार, किया तलब 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने आदिवासी विभाग में साल 2005 से 2010 के बीच हुए 6 हजार रुपए करोड़ रुपए के कथित घोटाले के मामले में सरकार व विभाग की प्रधान सचिव के कड़ी फटकार लगाई है और आगामी 17 जनवरी को कोर्ट में तलब किया है। मामले की जांच व कार्रवाई को लेकर विभाग की प्रधान सचिव मनीषा वर्मा ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया था। हलफनामे में वर्मा ने कहा था कि उन्होंने इस प्रकरण को लेकर पुलिस को कार्रवाई करने को कहा था लेकिन पुलिस से उन्हें जरुरी सहयोग नहीं मिला। कामकाज से जुड़े नियमों के तहत घोटाले में कथित तौर पर शामिल अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की सिफारिस भी की थी। 

हलफनामें में कार्रवाई को लेकर प्रधान सचिव द्वारा खुद को लाचार बताए जाने से नाराज न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने कहा कि यदि पुलिस अधिकारियों की ओर से सहयोग नहीं मिल रहा था तो आदिवासी विभाग की प्रधान सचिव ने गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव व विधि एवं न्याय विभाग से संपर्क क्यों नहीं किया? जिन नोडल अधिकारियों को घोटाले से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कराने का जिम्मा दिया गया था उन्होंने उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की। प्रधान सचिव के पास सिफारिश नहीं निलंबन करने का अधिकार होता है। हर अधिकारी मंत्री को रिपोर्ट नहीं करता है। सरकार में घोटाले तो नहीं रोके जाते पर कार्रवाई को लेकर लंबी प्रक्रिया अपनाई जाती है। 

खंडपीठ ने कहा कि गढचिरोली, चंद्रपुर, नंदुरबार व धुले  के अलावा अन्य आदिवासी इलाके में रहनेवाले लोगों के लिए लाई गई कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश एम जी गायकवाड की रिपोर्ट में भी यह बात सामने आयी थी। इस रिपोर्ट के बाद कितने चुनाव हुए। लेकिन विभाग के सचिव को सरकार के गठन व मंत्रालय के बटवारे से कोई लेना देना नहीं होता है। उसकी अलग भूमिका है। इस मामले में विभाग के सचिव की समझ दुर्भाग्यपूर्ण है। हाईकोर्ट में बहीराम मोतीराम की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। 

इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील राजेंद्र रघुवंशी ने खंडपीठ के सामने कहा कि गायकवाड कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में 323 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी। लेकिन सरकार ने सिर्फ 100 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इसमें से भी कई लोगों को  न तो गिरफ्तार  किया गया है और न ही उनसे पूछताछ हुई है। जबकि गायकवाड कमेटी की रिपोर्ट के बाद पूर्व आईएएस अधिकारी करंदिकर ने भी अपनी रिपोर्ट में मामला दर्ज कराने की सिफारिश की है। हाईकोर्ट ने इस मामले में कई अादेश दिए हैं। फिर भी कुछ नहीं किया जा रहा है।  

चार अधिकारी हुए हैं निलंबित

हालांकि सरकारी वकील ने खंडपीठ के सामने कहा कि सरकार इस मामले में कार्रवाई कर रही ही है कुल चार अधिकारियों को निलंबित किया गया है। कुछ के खिलाफ निलंबन की सिफारिस भी की गई है। मंत्री की मंजूरी के बिना सचिव अधिकारी का निलंबन नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले में नया हलफनामा दायर करने का अवसर दिया जाए। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने विभाग की प्रधान सचिव को कड़ी फटकार लगाई और अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में हाजिर रहने का निर्देश दिया। 

 

Created On :   8 Jan 2020 7:56 PM IST

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