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हाईकोर्ट ने सासंद-विधायक राणा दंपति के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने से किया इनकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट मुख्यमंत्री के निजी आवास के बाहर हनुमान चलीसा का पाठ करने की घोषणा के बाद जेल में बंद निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा व विधायक रवि राणा के खिलाफ पुलिस के कामकाज में रुकावट पैदा करने के आरोप में दर्ज एफआईआर को रद्द करने से मना कर दिया है। जबकि पुलिस को निर्देश दिया है कि वह राणा दंपति के खिलाफ दर्ज दूसरी एफआईआर में कार्रवाई करने से 72 घंटे पहले नोटिस जारी करे। पुलिस ने राणा दंपति के खिलाफ दूसरी एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 353( सरकारी अधिकारी के कामकामकाज व दायित्व निवर्हन में अवरोध व रुकावट पैदा करना) के तहत दर्ज की है। जिसे रद्द करने की मांग को लेकर राणा दंपति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसे हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया।
किसी के घर में हनुमान चलीसा पढने की घोषणा उसकी निजी स्वतंत्रता का हनन
न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति एसएम मोडक की खंडपीठ के सामने राणा दंपति की याचिका पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने पाया कि राणा दंपति पर पुलिसकर्मियों के साथ बहसबाजी करने व उन्हें धमकाने का आरोप है। इस लिहाज से उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के तहत उल्लेखित अपराध के घटक नजर आते है। खंडपीठ ने कहा कि विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरत का वह दावा न्यायसंगत नजर आता है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि पुलिस अधिकारियों को उनका काम करने से रोकना एक अलग घटना है व नफरत फैलाने व देशद्रोह के आरोप में दर्ज किया गया मामला अलग घटना है। खंडपीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री के निजी घर में हनुमान चलीसा का पाठ करने की घोषणा करना अपने आप में उनकी निजी स्वतंत्रता के हनन के दायरे में आता है। जबकि यह घोषणा सरकार की उस आशंका को भी मजबूती प्रदान करती है जिसके तहत कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका जताई गई थी।
बड़ी ताकत बड़ी जिम्मेदारी भी आती है
खंडपीठ ने कहा कि बड़ी ताकत के बडी जिम्मेदारी के साथ आती है। ऐसे में जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों से जिम्मेदार आचारण व कृत्य की आशा करना कोई बहुत बड़ी अपेक्षा नहीं यह एक न्यूनतम अपेक्षा है। खंडपीठ ने कहा कि हमने एक अन्य मामले(केंद्रीय मंत्री नारायण राणे) की सुनवाई के दौरान भी कहा था कि जिम्मेदार पद पर बैठे लोगो एक दूसरे के प्रति सम्मान जनक बरताव करना चाहिए। फिर चाहे व विरोधी ही क्यों न हो। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि हमरी बात बहरे कानों पर पड़ी है। और कोर्ट जिम्मेदार पद बैठे लोगों से जिम्मेदार आचारण की अपेक्षा भी नहीं कर सकती है।
हनुमान चलीसा की आड में सरकारी मशमरी को चुनौती
सुनवाई के दौरान विशेष सरकारी वकील घरत ने कहा कि आरोपियों ने हनुमान चलीसा की आड़ में सरकारी मशीनरी को चुनौती दी थी। और मुख्यमंत्री सरकारी मशीनरी का मुखिया होता है। एक तरह से यह सरकार को अस्थिर करने का प्रयास था। इसलिए पुलिस ने कार्रवाई की है। जबकि राणा दंपति की ओर से पैरवी कर रहे वकील रिजवान मर्चेंट ने कहा कि पुलिस ने नियमों के विपरीत जाकर एफआईआर दर्ज की है।
अमरावती-उस्मानाबाद व पुणे में भी दर्ज किया गया मामला
सुनवाई के दौरान श्री मर्चेंट ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ 353 के तहत दूसरी एफआईआर इसलिए दर्ज की गई है ताकि पुलिस पहले मामले में जमानत मिलने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर सके। पुलिस ने मेरे मुवक्किल के खिलाफ अमरावती,उस्मानाबाद व पुणे में भी मामला दर्ज किया है। उन्होंने कहा कि पहली घटना को लेकर दर्ज की गई एफआईआर में 353 की धारा लगाई जा सकती है। क्योंकि यह मामला एक ही घटना का हिस्सा है। इससे पहले पुलिस ने राणा दंपति के खिलाफ भारतीय दंड 153 ए,124ए (देशद्रोह),34 व महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 135 के तहत दर्ज किया था। पहली एफआईआर के मामले में खार पुलिस राणा को गिरफ्तार कर चुती है और कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा है। किंतु खंडपीठ ने राणा दंपति के वकील की ओर से दी गई दलीलों को अस्वीकार करते हुए राणा दंपति की याचिका को खारिज कर दिया।
Created On :   25 April 2022 7:22 PM IST