अपनी सीमा का उल्लंघन करनेवाले वकील को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

High court reprimanded the lawyer who violated his limit
अपनी सीमा का उल्लंघन करनेवाले वकील को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
अदालत में अहंकार के लिए जगह नहीं अपनी सीमा का उल्लंघन करनेवाले वकील को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि वकील कोर्ट का अधिकारी होता है। यह उसका दायित्व है कि वह अदालत की गरिमा व मर्यादा को कायम रखे। वकील के पास कोर्ट को धमकाने का लाइसेंस नहीं होता है। अदालत में अहंकार अथवा उद्दंडता के लिए कोई जगह नहीं है। न्यायमूर्ति अनूजा प्रभुदेसाई ने अपनी सीमा का उल्लंघन करनेवाले एक वकील को फटकार लगाते हुए उपरोक्त बाते कही। वकील ने आरोप लगाया था कि कोर्ट के न्यायाधीश कुछ मामलों व कुछ वकीलों को ही प्राथमिकता देते है। और पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करते है। इस पर न्यायमूर्ति ने कहा कि ऐसी घिनौती आकंक्षाओं के प्रभाव के चलते आम लोगों का न्यायपालिका के प्रति विश्वास प्रभावित होता है। दरअसल अधिवक्ता अंजली पाटिल अपने मुवक्किल दीपक कालिचरण कनोजिया के जमानत आवेदन पर तत्काल सुनवाई के लिए निवेदन दिया था। कनोजिया पाक्सो कानून से जुड़े मामले में आरोपी है।   अधिवक्ता पाटिल के सुनवाई के आग्रह पर न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने उनसे पूछा था कि इस जमानत आवेदन पर तत्काल सुनवाई क्यों कि जाए। जवाब में अधिवक्ता पाटिल ने कहा उनकी कोर्ट में कुछ मामलों व कुछ वकीलों को ही प्राथमिकता दी जाती है। इसी के साथ पाटिल ने इशारा किया कि कोर्ट निष्पक्ष नहीं है वह पक्षपाती है। इस दौरान पाटिल ने कहा कि वे इस मामले की शिकायत मुख्य न्यायाधीश से भी करेंगे। 

इन दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि वकील के पास अपने मुवक्किल के हित को सुरक्षित करने का अधिकार है। क्योंकि वह वकील अपने मुवक्किल के प्रति जवाबदेह होता है। लेकिन वकील को यह भी ध्यान रखना चाहिए की वह कोर्ट का अधिकारी भी है। उसकी जिम्मेंदारी है कि वह अदालत की गरिमा व मर्यादा का ख्याल रखे।  न्यायाधीश व कोर्ट पर आधारहीन आरोप लगाकर न्याय के फुहारे को प्रदूषित करने का लाइसेंस वकील के पास नहीं है। 


 
 

Created On :   22 April 2022 6:40 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story