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गोदरेज एंड बॉयस कंपनी की ओर से दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए ली जा रही विवादित जमीन को लेकर गोदरेज एंड बॉयस कंपनी की ओर से दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। मंगलवार को न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति मिलिंज साठे की खंडपीठ ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। याचिका में मुख्य रुप से जमीन अधिग्रहण को लेकर राज्य सरकार की ओर से घोषित 264 करोड़ रुपए के मुआवजे के निर्णय को लागू न करने का निर्देश देने की मांग की गई है। केंद्र व राज्य सरकार ने कंपनी की याचिका का कड़ा विरोध किया है। केंद्र सरकार के मुताबिक प्रोजेक्ट में विलंब से इसकी लागत में इजाफा हो रहा है। जबकि यह सार्वजिक महत्व से जुड़ा प्रोजेक्ट है।
परियोजना के लिए मुंबई की विक्रोली स्थित कंपनी के जमीन अधिग्रहण को लेकर राज्य सरकार व कंपनी के बीच साल 2019 से कानूनी लड़ाई चल रही है। 508.17 किमी लंबी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना का 28 किमी का हिस्सा भूमिगत है। जिसका एक इंट्री प्वाइंट विक्रोली इलाके में है और इसके लिए कंपनी की जगह की जरुरत है।
पिछले दिनों मुंबई के उपजिलाधिकारी ने जमीन के लिए 264 करोड़ रुपए के मुआवजे का आदेश जारी किया था। कंपनी जमीन अधिग्रहण के एवज में राज्य सरकार की ओर से दिए जा रहे 264 करोड रुपए की मुआवजा की राशि लेने की इच्छुक नहीं है। इसलिए याचिका दायर कर उपजिलाधिकारी के आदेश को लागू न करने का निर्देश देने की मांग की है। याचिका में कंपनी दावा किया गया है कि सरकार की ओर से जमीन अधिग्रहण की सारी प्रक्रिया साल 2020 में खत्म हो गई है। इसलिए जमीन के मुआवजे को लेकर 15 सितंबर 2022 जारी किया गया आदेश अपने आप अमान्य हो जाता है।
Created On :   20 Dec 2022 9:50 PM IST