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लघु वनोपज फेडरेशन अध्यक्ष के अधिकारों पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी फेडरेशन में वीरेन्द्र गिरी गोस्वामी द्वारा अध्यक्ष पद के अधिकारों का इस्तेमाल करने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। जस्टिस संजय द्धिवेदी की एकलपीठ ने अध्यक्ष पद पर हुए निर्वाचन को निरस्त करने की प्रार्थना करने वाली याचिका के अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए यह अंतरिम व्यवस्था दी। मप्र राज्य लघु वनोपज एपेक्स फेडरेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य मो. इलियास (अनूपपुर निवासी) की ओर से दायर इस याचिका में फेडरेशन के अध्यक्ष पद पर हुए निर्वाचन को अवैध व शून्य करार दिये जाने की राहत चाही गई है। आवेदक का कहना है कि बिना कोरम के अध्यक्ष पद का चुनाव किया गया है, जो कि अवैधानिक है। याचिका के अनुसार पूरे प्रदेश के हर संभाग से फेडरेशन में एक-एक डायरेक्टर चुना जाता है, जिनकी कुल संख्या 10 होती है।
डायरेक्टरों के पद रिक्त
अभी चंबल, ग्वालियर, उज्जैन, सागर व इंदौर संभाग के डायरेक्टरों के पद रिक्त हैं। सात निर्वाचित डायरेक्टरों में से दो को पद से हटाया जा चुका है। शेष 5 डायरेक्टरों में से एक कीर्ति मिश्रा अपने पद से इस्तीफा दे चुकी है। इसके बावजूद नियमों के विपरीत उप आयुक्त सहकारिता ने स्वयं को निर्वाचन अधिकारी घोषित करते हुए मात्र चार सदस्यों में ही निर्वाचन कार्यक्रम घोषित किया। आरोप है कि कोरम अधूरा होने पर भी उन्होंने अध्यक्ष पद पर नरसिंहपुर के वीरेन्द्र गिरी गोस्वामी को निर्वाचित घोषित कर दिया। याचिकाकर्ता का दावा है कि मप्र सहकारी सोसायटी नियम 1962 के नियम 43 (1) के तहत समिति में पांच से कम निर्वाचित सदस्य नहीं रह सकते।
इसी तरह 43 (6) के तहत कोरम के लिये 50 फीसदी से अधिक सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य है। इन आधारों के साथ दायर याचिका में अध्यक्ष पद पर हुए निर्वाचन को निरस्त किए जाने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की गई है। मामले पर हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी व अधिवक्ता असीम त्रिवेदी ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद अदालत ने अंतरिम आदेश देते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
Created On :   15 Nov 2019 1:42 PM IST