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हाईकोर्ट : कर्मचारियों को वेतन न देना जीवन के अधिकार का उलंघन, ई-पास की व्यवस्था खत्म करने लगी याचिका
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी को वेतन देने में देरी करना अथवा वेतन से वंचित करना संविधान के तहत दिए गए जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। यह कर्मचारियों के मानवाधिकार का भी उल्लंघन हैं। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी रायगढ़ की एक स्टील फैक्ट्री के करीब 150 कर्मचारियों को लॉकडाउन की अवधि के दौरान वेतन न देने के आरोपों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिए गए आदेश में की है। अदालत ने कहा कि कानून के विपरीत वेतन में कटौती की इजाजत नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता गायत्री सिंह के मार्फत कर्मचारियों की ओर से यूनियन के माध्यम से दायर याचिका में कर्मचारियों ने दावा किया था कि उन्हें मार्च, अप्रैल व मई 2020 का पूरा वेतन नहीं दिया गया है। इससे पहले उन्हें दिसंबर, जनवरी व फरवरी में भी वेतन नहीं दिया गया था। मई 2020 में हाईकोर्ट ने फैक्टरी को वेतन देने का निर्देश दिया था। जिसका पालन नहीं हो रहा है। इसके अलावा फैक्ट्री में कोरोना महामारी को रोकने से जुड़े सुरक्षा के उपाय भी नहीं किए जा रहे हैं।
लॉकडाउन में एक कंपनी के कर्मचारियों को वेतन न देने को लेकर दायर हुई है याचिका
न्यायमूर्ति उज्जल भूयान व न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि जीवन के अधिकार में भोजन, आवास, पेय जल, शिक्षा, स्वथ्य वातावरण व स्वास्थ्य की देखरेख भी शामिल है। ऐसे में वेतन न मिलने की स्थिति में कोई गरिमामय मानव जीवन कैसे जी सकता है? इस दौरान फैक्ट्री की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कर्मचारियों के आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को समझौते के तहत किश्तों में वेतन भुगतान करना तय हुआ है। कर्मचारियों को लॉकडाउन के दौरान कार्य से दूर रहने को कहा गया था। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कर्मचारियों को मई 2020 के आदेश के तहत बकाया वेतन के भुगतान का निर्देश दिया। इसके साथ ही रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक व उप श्रम आयुक्त को फैक्ट्री परिसर का दौरा करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही श्रम आयुक्त को कर्मचारियों की शिकायत का भी निपटारा करने को कहा।
ई-पास की व्यवस्था खत्म करने हाईकोर्ट में याचिका
उधर राज्य में एक जिले से दूसरे जिले में वाहन से जाने के लिए ई पास की व्यवस्था को खत्म किए जाने की मांग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई हैं। यह याचिका भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष मयूरेश जोशी ने दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि ई-पास के नाम पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के मामले सामने आ रहे हैं। याचिका के मुताबिक आम आदमी को सरलता से ई-पास नहीं मिल रहे हैं। उन्हें भारी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन एजेंट के माध्यम से पास के लिए आवेदन किया जाए तो तत्काल ई पास मिल जाता है। याचिका के मुताबिक आम लोगों की परेशानी को देखते हुए ई-पास के पीछे का मूल उद्देश्य हासिल नहीं हो पा रहा है। इसलिए एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए ई-पास की बाध्यता को खत्म करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया जाए।
Created On :   20 Aug 2020 7:42 PM IST