हाईकोर्ट : अस्पतालों में रिक्त पदों और दिव्यांग छात्रों की ऑनलाईन पढ़ाई को लेकर सरकार से मांगा जवाब

High Court: Seeks answers from government regarding vacant posts in hospitals
हाईकोर्ट : अस्पतालों में रिक्त पदों और दिव्यांग छात्रों की ऑनलाईन पढ़ाई को लेकर सरकार से मांगा जवाब
हाईकोर्ट : अस्पतालों में रिक्त पदों और दिव्यांग छात्रों की ऑनलाईन पढ़ाई को लेकर सरकार से मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरोना का इलाज कर रहे सरकारी अस्पतालों में मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ के रिक्त पदों को भरने की मांग को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में दावा किया गया है कि गणेशोत्सव के चलते बड़ी संख्या में राज्य के विभिन्न इलाकों से लोग यात्रा कर रहे हैं। मौजूदा समय में कोरोना का प्रकोप जारी है। हर जगह कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि कोरोना का इलाज करने वाले सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त स्टाफ़ हो। याचिका में मांग की गई है कि राज्य सरकार को स्टाफिंग पैटर्न के हिसाब से रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया जाए। खास तौर से रत्नागिरी के सरकारी अस्पताल में। क्योंकि वहां पर गणपति के दौरान पूरे राज्य भर से लोग आते हैं और वहां के अस्पताल में पर्याप्त मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ़ नहीं है। इस विषय पर सामाजिक कार्यकर्ता खलील अहमद ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है पर्याप्त स्टाफ़ न होने के कारण लोग सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं करा पा रहे हैं। मंगलवार को यह याचिका न्यायमूर्ति ए ए सैय्यद की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता राकेश भाटकर ने खंडपीठ को याचिका के बारे में जानकारी दी। जिस पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को याचिका के जवाब में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के स्थगित कर दी। 
 
दिव्यांग छात्रों की ऑनलाईन पढ़ाई के लिए क्या है व्यवस्था

कोरोना संकट के बीच राज्य के दिव्यांग विद्यार्थियों की ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था बनाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इस संबंध में अहमदनगर की गैर सरकारी संस्था अनमप्रेम के सह संस्थापक अजीत कुलकर्णी ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि 22 मार्च 2020 से घोषित लॉकडाउन के चलते राज्य के सभी स्कूल व कॉलेज बंद हैं, लेकिन राज्य में लॉकडाउन शिथिल होने के बाद से राज्य सरकार ने सामान्य बच्चों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था बनाई है। परंतु दिव्यांग, नेत्रहीन, मूकबधिर व मानसिक रुप से कमजोर बच्चों की पढ़ाई के लिए न तो कोई निर्णय लिया गया और न ही कोई नीति बनाई गई। याचिका के मुताबिक यह पर्सन विथ डिसएबिलिटी कानून की धारा 16 व 17 के प्रावधानों के विपरीत है। राज्य सरकार व स्थानीय निकाय इस मामले में कुछ भी करने में विफल रही हैं। जबकि राज्य की कुल जनसंख्या में 7 प्रतिशत आबादी दिव्यांगों की है। इसमें तीन प्रतिशत विशेष जरूरत वाले बच्चे हैं। याचिका के अनुसार ग्रामीण इलाकों में दिव्यांग बच्चों को भारी  समस्याओं का सामान करना पड़ रहा है। इसलिए इन बच्चों की शिक्षा से जुड़े संस्थानों को इंटरनेट व जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीक उपलब्ध कराया जाए। इसके साथ ही दूरदर्शन व सरकारी चैनलों की भी मदद ली जाए। मंगलवार को यह याचिका न्यायमूर्ति ए ए सैयद की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। अधिवक्ता उदय वारुनजेकर ने खंडपीठ को दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी परेशानी की जानकारी दी। इसके बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो सप्ताह में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। 
 

Created On :   11 Aug 2020 7:08 PM IST

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