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लोकल ट्रेन से गिरे व्यक्ति को मुआवजा देने का आदेश
डिजिटल डेस्क, मुंबई। लोकल ट्रेन को इस महानगर का लाइफलाइन माना जाता है। ऐसे में यदि कोई भीड़ भरी लोकल ट्रेन पर चढ़ते समय कोई गिर कर घायल हो जाता है तो यह मामला अप्रिय घटना के दायरे में आता है। लिहाजा ऐसे मामले में रेलवे को मुआवजे का भुगतना करना ही होगा। बांबे हाईकोर्ट ने यह बात कहते हुए पश्चिम रेलवे को एक 75 वर्षीय बुजुर्ग को 3 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। दरअसल 75 वर्षीय बुजुर्ग दादर से ट्रेन पकड़ने की कोशिश की थी किंतु ट्रेन में बहुत भीड़ होने के चलते वे गिर गए थे। इसके चलते उनके पैर में चोट लगी थी। जिससे उन्हें चलने-फिरने में कठिनाई होती थी। न्यायमूर्ति भारती डागरे के सामने पश्चिम रेलवे के वकील ने दावा किया कि यह मामला रेलवे अधिनियम की धारा 124ए के दायरे में नहीं आता है। जिसके तहत अप्रिय घटना होने पर मुआवजे का प्रावधान है। रेलवे के वकील ने कहा कि 75 वर्षीय बुजुर्ग नीतिन हुंडीवाला ने ट्रेन पर चढ़ते वक्त गिरे थे। इसलिए उनकी याचिका पर विचार न किया जाए। किंतु न्यायामूर्ति ने रेलवे की ओर से दिए गए इस तर्क को अस्वीकार कर दिया। न्यायमूर्ति ने कहा कि लोकल ट्रेन को मुंबई की लाइफ लाइन कहा जाता है।
व्यापक रुप से लोग इसका इस्तेमाल अपनी मंजिल व कार्यस्थल पर जाने के लिए करते हैं। कई बार लोग ट्रेन पकड़ने के लिए जोखिम भी उठाते हैं। ताकि वे समय पर अपने कार्यस्थल पर पहुंच सके। इस जोखिम को आपराधिक कृत्य के दायरे में नहीं लाया जा सकता है। न्यायमूर्ति ने कहा कि 124ए का उद्देश्य अप्रिय घटना का शिकार हुए घायल यात्री व उसके परिजनों को तुरंत राहत प्रदान करना है। इस धारा की व्याख्या को खीचकर इसका इस्तेमाल मुआवजा न देने के लिए नहीं किया जा सकता है। इससे पहले रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल जुलाई 2013 में हुंडीवाला के चार लाख रुपए की मुआवजे से जुड़े आवेदन को खारिज कर दिया था। इसलिए हुंडीवाला ने हाईकोर्ट में अपील की थी। जिस पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति ने हुंडीवाला को राहत प्रदान की है।
Created On :   26 April 2022 8:07 PM IST