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पनडुब्बियों को बचाने में DSRV नौसेना में शामिल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भारतीन नौसेना ने डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हिकल (डीएसआरवी) को सेवा में शामिल कर लिया। नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने इस विशेष वाहन को नौसेना में शामिल किया। मुंबई के डॉकयार्ड में हुए कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि काफी कोशिशों के बाद हम यह प्रणाली हासिल करने में सफल रहे हैं। इस वाहन की प्रणाली ने भारतीय नौसेना को विश्व नौसेना के ऐसे छोटे समूह में शामिल कर दिया है जिनके पास अभिन्न पनडुब्बी बचाव क्षमता है। नौसेना ने 15 अक्टूबर को डीएसआरवी के जांच परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था।
18 घंटे तक गहरे पानी में रहने में सक्षम
यह रेस्क्यू सबमरीन आवश्यकता पड़ने पर समुद्र के गहरे पानी में 12 से 18 घंटे तक रहने में सक्षम है। नौसेना के बेड़े में इस रेस्क्यू सबमरीन के शामिल होने से देश के 6 समुद्री तट वाले राज्यों को इसका जरूरत पड़ने पर लाभ होगा। ध्यान रहे कि सी-ट्रायल के दौरान इस रेस्क्यू सबमरीन ने 666 मीटर की गहराई तक समुद्र के भीतर सफलतापूर्वक गोता लगाया था।
14 से 15 लोगों को एक समय में रेस्क्यू करने की क्षमता
नौसेना में शामिल की गई पोत के जरिए 650 मीटर तक की गहराई में फंसे 14 से 15 नौसैनिकों को दुर्घटनाग्रस्त पनडुब्बी से बाहर निकाला जा सकता है। अक्टूबर महीने में समुद्र की सतह से 300 फीट नीचे जाकर बचाव अभियान का सफल परीक्षण किया गया था। इसके अलावा परीक्षण के दौरान पोत सतह से 666 मीटर नीचे तक कामयाबी से ले जाया गया था जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था।
जल्द ही विशाखापट्टनम में तैनात होगा दूसरा पोत
यह पोत मुंबई में तैनात रहेगा। हादसे के समय इसे वायुसेना की मदद से कुछ ही देर में दुर्घटनास्थल पर पहुंचाया जाएगा। इसमें चालक दल के तीन सदस्य रहेंगे। यह पोत यूनाइटेड किंगडम की कंपनी जेम्स फिशर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है। कार्यक्रम के दौरान कंपनी के बड़े अधिकारी भी मौजूद थे। जल्द ही दूसरा पोत भी भारत आएगा। उसे विशाखापट्टनम में तैनात किया जाएगा।
पुरानी पनडुब्बियों के चलते हादसे का खतरा
फिलहाल भारतीय नौसेना में सिंधुघोष, शिशुमार, कालवरी वर्ग की पनडुब्बियां हैं। इनमें से कई बेहद पुरानी हो गईं हैं जिनके चलते हादसे का खतरा बना रहता है। इसके अलावा गहरे समंदर में होने के चलते भी कई बार मुश्किलें खड़ी होती हैं। साल 1980 से भारत इस तरह की क्षमता हासिल करने की कोशिश कर रहा था जो अब जाकर पूरी हुई है।
Created On :   13 Dec 2018 3:25 PM IST