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जिला अधिवक्ता संघ ने कैसे पारित किया फरियादी की पैरवी नहीं करने का प्रस्ताव- सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर पूछा है कि जिला अधिवक्ता संघ जबलपुर ने एक फरियादी की पैरवी नहीं करने का प्रस्ताव कैसे पारित कर दिया। जस्टिस यूयू ललित और दीपक गुप्ता की युगल बेंच ने एक सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है।
प्रेमनगर लुधियाना निवासी दीपक कालरा की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि जबलपुर निवासी उसकी पूर्व पत्नी के साथ उसका विवाद चल रहा है। जबलपुर जिला न्यायालय में उसके और उसकी पूर्व पत्नी के बीच कई मुकदमे चल रहे है। वह 8 मार्च को एक मुकदमे की सुनवाई के सिलसिले में जबलपुर जिला न्यायालय आया था। सुनवाई के बाद उसकी पूर्व पत्नी के वकील ने उस पर आरोप लगाया कि उसने उसे थप्पड़ मार दिया है। इसके बाद उसके साथ कोर्ट परिसर में मारपीट की गई, फिर उसे सिविल लाइन्स थाने में बंद करा दिया गया। 15 मार्च को वह जमानत पर रिहा हुआ।
इसके बाद उसके वकील ने उसे बताया कि जिला अधिवक्ता संघ ने प्रस्ताव पारित किया है कि कोई भी वकील उसकी पैरवी नहीं करेगा। उसने 16 मार्च को मानव अधिकार आयोग में शिकायत दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल बेंच ने राज्य शासन और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है।
न्याय पाने के मौलिक अधिकार के हनन के इस मामले को लेकर फरियादी द्वारा पहले भी विभिन्न मंचों एवं विभागों में न्याय की गुहार की जा चुकी थी, किंतु उसे कहीं से भी राहत नहीं मिली अंतत: वह सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने के लिए विवश हो गया। उसके वकील ने उसे बताया था कि जिला अधिवक्ता संघ ने प्रस्ताव पारित किया है कि कोई भी वकील उसकी पैरवी नहीं करेगा।
Created On :   16 Jun 2018 8:00 PM IST