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पति के खिलाफ तीन एफआईआर कर्ज कराने वाली महिला कानून से अनजान कैसे
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने समन जारी करने के बावजूद पारिवारिक अदालत में उपस्थित न होने वाली महिला की तलाक के आदेश के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया है। महिला ने दावा किया था कि वह अशिक्षित थी और कानूनी प्रक्रिया से अनजान थी इसलिए पारिवारिक अदालत में हाजिर नहीं हुई है। लिहाजा पारिवारिक अदालत की ओर साल 2008 में जारी किए गए तलाक के आदेश को खारिज कर दिया जाए।
मामले से जुड़े दंपति ने अहमदनगर में विवाह किया था। इसके बाद वे मुंबई आ गए थे। लेकिन कुछ सालों बाद दोनों के बीच अनबन शुरु हो गई। फिर पति ने मानसिक क्रूरता को आधार बनाकर मुंबई की पारिवारिक अदालत में तलाक के लिए याचिका दायर की। जिस पर कोर्ट ने महिला को समन जारी किया लेकिन उसने समन को स्वीकार नहीं किया और कोर्ट में उपस्थित नहीं हुई है।
न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की खंडपीठ के सामने महिला की अपील पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि इस मामले में पारिवारिक अदालत ने करीब 6 माह महिला की प्रतिक्षा की है। ऐसे में कोर्ट के पास आगे बढने यानी तलाक का आदेश जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। खंडपीठ ने कहा कि जहां तक बात महिला के अशिक्षित होने के दावे की है तो उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। महिला ने अकोला कोर्ट में गुजारा भत्ते के लिए आवेदन किया था। इसके साथ ही उसने पुलिस में तीन एफआईआर दर्ज कराई थी। इसलिए यह नहीं मान सकते है कि महिला को कानूनी प्रक्रिया की जानकारी नहीं थी। खंडपीठ ने कहा कि महिला के पति ने दूसरा विवाह कर लिया है। पति के मुताबिक महिला उसे पैसे के लिए परेशान कर रही है।
मामले से जुड़ी सभी परिस्थितियों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हमे इस मामले में पारिवारिक अदालत की ओर से जारी किए गए आदेश में कोई खामी नजर नहीं आती है। इसलिए महिला की अपील को खारिज किया जाता है। खंडपीठ ने महिला को अपना गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए उपयुक्त कानूनी विकल्प अपनाने की छूट दी है।
Created On :   26 Oct 2022 9:47 PM IST