HRAWI ने की सरकार से राहत की मांग, सामान्य तरीके से मिले व्यवसाय की इजाजत

HRAWI sought relief from the government, allowed business in the normal way
HRAWI ने की सरकार से राहत की मांग, सामान्य तरीके से मिले व्यवसाय की इजाजत
HRAWI ने की सरकार से राहत की मांग, सामान्य तरीके से मिले व्यवसाय की इजाजत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संक्रमण के चलते होटलों और रेस्टोरेंट पर लगी पाबंदियों से इनके मालिक परेशान हैं। पाबंदियों से नाराज होटल एंड रेस्टारेंट एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया (एचआरएडब्ल्यूआई) ने हाल ही में विरार के होटल व्यवसायी की आत्महत्या का हवाला देते हुए सरकार से राहत की मांग की है। बता दें कि फिलहाल होटलों और रेस्टोरेंट शाम चार बजे तक ही खुले रह सकते हैं। इसके बाद सिर्फ पार्सल देने की अनुमति है। एचआरएडब्ल्यूआई के मुताबिक बकाएदार होटल व्यवसायियों का पीछा कर रहे हैं लेकिन उनके पास आय का कोई स्त्रोत नहीं है। होटल और रेस्टोरेंट मालिक भारी मानसिक तनाव में है। विरार के होटल व्यवसायी ने आर्थिक परेशानी के चलते ही आत्महत्या जैसा कदम उठाया है। एचआरएडब्ल्यूआई के मुताबिक सरकार या तो उन्हें सामान्य तरीके से व्यवसाय की इजाजत दे अथवा उन्हें वित्तीय मदद और छूट दी जाए। एचआरएडब्ल्यूआई के अध्यक्ष शेरी भाटिया ने कहा कि आर्थिक परेशानी के चलते होटल व्यवसायी की आत्महत्या दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन यह इकलौता मामला नहीं है। पिछले डेढ़ सालों में इस तरह की गई घटनाएं हुईं हैं। पाबंदियों ने लोगों के रोजी-रोटी कमाने के अधिकार और आय का जरिया छीन लिया है। व्यवसाय को नुकसान, कर्मचारियों के वेतन का भुगतान, संपत्ति का रखरखाव, किराए का बोझ, लाइसेंस शुल्क, वैधानिक शुल्क, उपयोगिता बिल के दबाव के चलते होटल मालिक बेहद परेशान हैं। मानसिक तनाव उन्हें कठोर कदम उठाने पर मजबूर कर रहा है। किसी व्यक्ति को ऐसा नहीं लगना चाहिए कि जीवन समाप्त करना ही उसके संकटों का समाधान है। हालात और खराब हों इससे पहले सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। 

जहां मामले कम वहां दें राहत

एचआरएडब्ल्यूआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रदीप शेट्टी ने कहा कि जिन इलाकों में कोरोना संक्रमण के मामले बेहद कम हैं और यह एक या दो के स्तर पर हैं कम से कम वहां के होटलों और रेस्टारेंट को राहत दी जानी चाहिए और उन्हें सुबह सात बजे से रात साढ़े 12 बजे तक खुला रखने की इजाजत मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले पंद्रह महीनों से हम लगातार सरकार का दरवाजा खटखटा रहे हैं लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। 
 

Created On :   29 July 2021 2:15 PM GMT

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