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वासना नहीं उपासना का केंद्र है मानव शरीर -आचार्यश्री विद्यासागर
डिजिटल डेस्क जबलपुर । जैन समाज का पर्यूषण पर्व या दशलक्षण पर्व आज से शुरू हो गया है। इन दिनों यथा शक्ति उपवास रखा जाता है। पर्यूषण पर्व की समाप्ति पर क्षमायाचना पर्व मनाया जाता है। दिगंबर जैन के अनुयायी 10 दिन तक पर्यूषण मनाते हैं। जैन धर्म के दस लक्षण उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम अकिंचन्य और उत्तम ब्रह्मचर्य हैं। इन दस लक्षणों का अच्छी तरह से पालन कर लें इस संसार से मुक्ति मिल सकती है।
उत्तम क्षमा धर्म आज
आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि क्षमा आत्मा का स्वभाव है। सहिष्णुता, समता और सौजन्य क्षमा के पर्यायवाची नाम हैं। धरती सारी दुनिया के भार को सहती है। सबके पदाधान को भी सहती है लेकिन किसी का कोई प्रतिकर नहीं करती है। यह पृथ्वी की महानता है। पृथ्वी की भाँति सहिष्णु व्यक्ति ही क्षमा जैसे गुण को धारण कर सकता है।
वासना नहीं उपासना का केंद्र है मानव शरीर
दयोदय तीर्थ में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि जिस तरह गर्म लोहे का प्रेस कपड़े को तपा कर उसे चमकदार बना देता है। उसी तरह मोक्ष मार्ग भी बिना तप-तपस्या किए नहीं मिल सकता। जिस तरह मशीन को माह में 1 दिन बंद कर साफ-सफाई की जाती है, उसी तरह शारीरिक मशीन को भी उपवास के माध्यम से ठीक करना चाहिए। मानव शरीर वासना नहीं उपासना का केंद्र है। पर्यूषण पर्व प्रारंभ हो रहा है 10 दिन पर्यूषण पर्व, 10 दिन संयम के दिवस होते हैं। हमें कर्म की निर्जला करनी चाहिए इससे आयु की निर्जला भी हो जाती है। गुरुवार को आचार्यश्री को आचार्य विद्यासागर महाराज विद्यापीठ के सचिव दीपक जैन, सुशील छाबड़ा एवं निदेशक आशीष शर्मा ने श्रीफल अर्पित किया। महर्षि महेश योगी विवि के कुलसचिव अरविंद राजपूत एवं छात्रों ने आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने भी आचार्यश्री का आशीर्वाद प्राप्त किया एवं चल-चरखा हथकरघा केंद्र का निरीक्षण किया।
Created On :   10 Sept 2021 1:50 PM IST