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पति को भरनी पड़ती है घर की ईएमआई, अदालत ने ठुकराई पत्नी की गुजारे भत्ते की मांग
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पति को घर की ईएमआई भरनी पड़ती है जबकि पत्नी को अपनी कमाई सिर्फ खुद पर खर्च करनी है। यह बात कहते हुए बांबे हाईकोर्ट ने पत्नी कीगुजारे भत्ते की मांग को अस्वीकार कर दिया है। इससे पहले पारिवारिक अदालत ने भी पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इनकार कर दिया था। लिहाजा पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में पत्नी ने मांग की थी कि उसे व उसके बेटे के लिए 30 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया जाए। क्योंकि कोरोना के चलते उसका वेतन घट गया है। उसे अपना गुजर बसर करने में दिक्कत आ रही है। इसके साथ ही पारिवारिक अदालत ने बच्चे के गुजाराभत्ते को लेकर जो राशि निर्धारित की है वह बेहद कम है।
न्यायमूर्ति नीतिन सांब्रे के सामने पत्नी की याचिका पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े रिकार्ड पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि पत्नी हर महीने 33 हजार रुपए कमाती है। जबकि पति का मासिक वेतन 60 हजार रुपए है। पति को अपने वेतन से उस घर की ईएमआई देनी पड़ती है, जो उसने याचिकाकर्ता (पत्नी) के साथ संयुक्त रुप से लिया है। न्यायमूर्ति ने सुनवाई के दौरान पाया किईएमआई की रकम भरने में पत्नी कोई योगदान नहीं देती है। पत्नी ने अपनी आमदनी को अपने तक सीमित रखा है। इसके अलावा पारिवारिक अदालत ने बच्चे के खर्च के लिए पति को 6750 रुपए देने का निर्देश दिया है। इस परिस्थिति में पत्नी की गुजारेभत्ते से जुड़ी मांग पर फिलहाल विचार नहीं किया जा सकता है। लेकिन भविष्य में यदि परिस्थितियों में बदलाव होता है तो पत्नी गुजाराभत्ते की मांग के लिए दोबारा आवेदन कर सकती है। यह बात कहते हुए न्यायमूर्ति ने पत्नी की याचिका को खारिज कर दिया।
Created On :   6 Nov 2021 7:59 PM IST