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पत्नी को ‘ढोंगी’ बतानेवाले पति को राहत नहीं, देना होगा गुजारा भत्ता

डिजिटल डेस्क, मुंबई। गुजारा भत्ता न देने के लिए पत्नी को ढोंगी बतावाले पति की याचिका को बांबे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। निचली अदालत ने पति को अपनी पत्नी को तीन हजार रुपए गुजारा भत्ता व दो हजार रुपए कानूनी खर्च के लिए देने का निर्देश दिया था। जिसके खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में पति ने दावा किया था कि जिस महिला को कोर्ट ने गुजाराभत्ता देने का निर्देश दिया है उसके साथ उसके संबंध पत्नी की तरह नहीं थे। यह महिला ढोगी है। इसलिए उसे गुजारा भत्ता देने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। जबकि महिला ने दावा किया था कि उसने याचिकाकर्ता के साथ 22 जुलाई 2013 को विवाह किया था। न्यायमूर्ति नितिन सांब्रे के सामने पति की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि जब मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने पति को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था उस समय पति ने यह नहीं कहा था कि जिसे गुजाराभत्ता देने के लिए कहा जा रहा है वह ढोगी है। इस दौरान पति ने अपने संंबंधों की वैधानिकता को लेकर भी प्रश्न नहीं खड़ा किया था। निचली अदालत ने उसके सामने मौजूद तथ्यों के आधार पर गुजारे भत्ते का आदेश जारी किया है। जहां तक बात याचिकाकर्ता के पत्नी के साथ वैधानिक संबंधों की है वह इस मामले को उचित समय पर निचली अदालत में उठा सकता है। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने पति की याचिका को खारिज कर दिया।
दिव्यांगों को सुविधाएं व आत्मविश्वास देकर सफर के लिए प्रोत्साहित करे रेलवे-हाईकोर्ट
बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि रेलवे प्लेटफार्म पर दिव्यांग यात्रियों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए व्यापक कदम उठाए और उन्हें ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए जिससे वे स्वयं को सुरक्षित व आत्म विश्वास से भरा महसूस करे। हाईकोर्ट ने कहा कि क्या रेलवे के पास ऐसी कोई तकनीक है जिससे ट्रेन का परिचालन करनेवाले मोटरमैन को यह जानकारी मिल सके की प्लेटफार्म में मौजूद सारे दिव्यांग ट्रेन में चढ चुके है। कोर्ट ने कहा कि हर किसी के बस की बात नहीं है कि वह निजी वाहन से सफर कर सके इसलिए रेलवे दिव्यांग यात्रियों को ऐसी सुविधाएं प्रदान करे जिससे उनका ट्रेन में सफर करने के लिए साहस बढे। शुक्रवार को न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने कहा कि ट्रेन की भीड़ को देखकर शारिरिक रुप से सक्षम लोग ट्रेन में चढने से घबारते है। ऐसे में यदि दिव्यांगों को जरुरी सुविधाएं नहीं दी जाएगी तो वे कैसे रेलवे में सफर के लिए प्रोत्साहित होगे? विकलांगता से ग्रसित होने के चलते दिव्यांग यात्री पहले से मानसिक रुप से अशांत होते है इस स्थिति में यदि रेलवे की ओर से जरुरी सुविधाएं नहीं दी जाएती तो वे कैसे रेलवे से सफर कर पाएगे। लिहााज रेलवे दिव्यांगों के लिए अच्छी सुविधाएं प्रदान करे। जिससे वे सफर के दौरान खुद को सहज महसूस करे। खंडपीठ ने कहा कि डिब्बे में रैंप लगाना बड़ी बात है लेकिन प्लेटफार्म में व्हील चेयर उपलब्ध कराना आसान है। खंडपीठ ने कहा कि क्या रेलवे के पास यह जानकारी उपलब्ध है कि रोजना कितने दिव्यांग यात्री ट्रेन से सफर करते है? रेलवे यह जानकारी इकट्ठा करके दिव्यांग यात्रियों को बुनियादि सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में ठोस व व्यापक कदम उठाए। इस दौरान रेलवे की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता सुरेश कुमार ने कहा कि रेलवे ने दिव्यांग यात्रियों के सफर को असान बनाने के लिए रेलवे प्लेटफार्म में रैंप लगाए। उनके अनुरुप टिकट की खिड़की बनाई गई है। दिव्यांग अपने डिब्बे तक पहुंच सके इसके लिए विशेष ध्वनि भी बजाई जाती है। प्लेटफार्म में व्हीलचेयर उपलब्ध कराई जाती है लेकिन कई बार भीड़-भाड़वाले समय में यह संभव नहीं हो पाता है। फिर भी रेलवे की ओर से दिव्यांगों को हर संभव सहयोग दिया जाएगा। दिव्यांगो को सुविधाएं प्रदान किए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी। जिसे कोर्ट ने सुनवाई के बाद समाप्त कर दिया।
Created On :   10 Jan 2020 8:02 PM IST