प्लानिंग से प्लान्टेशन हो तो भविष्य में कार्बन फ्री हो जाएगा शहर

If planning is planned, the city will become carbon free in future
प्लानिंग से प्लान्टेशन हो तो भविष्य में कार्बन फ्री हो जाएगा शहर
प्लानिंग से प्लान्टेशन हो तो भविष्य में कार्बन फ्री हो जाएगा शहर

स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए एसएफआरआई के वैज्ञानिकों की रिसर्च में सामने आई जानकारी
एनवायरनमेंट प्लानिंग एण्ड को-ऑर्डिनेशन ऑर्गनाइजेशन के जरिए प्रदेश सरकार सभी शहरों में लागू कर सकती है यह योजना 
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
शहर की आबोहवा को पर्यावरण के अनुकूल रखने के लिए एसएफआरआई के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च की है, जिसमें दावा किया गया है कि अगर आज से ही प्लानिंग के तहत हम ऐसे पौधों का प्लान्टेशन करें, जिनमें कार्बन एडॉप्ट करने की ज्यादा क्षमता है, तो भविष्य में हमारा शहर कार्बन फ्री हो सकता है। रिसर्च की खास बात यह है कि इसमें इस बात की भी जानकारी दी गई है कि नेशनल हाईवे, शहर की प्रमुख सड़कें, गार्डन और कॉलोनियों में कौन-कौन सी प्रजातियों के पौधे लगाए जाएँ। अभी तक होने वाले प्लान्टेशन सिर्फ पौधारोपण अभियान और कमाई के लिए औपचारिकताएँ होती रही हैं, लेकिन इस रिसर्च के तहत प्लान्टेशन किया जाए, तो हमारी भावी पीढिय़ों को प्रदूषण मुक्त वातावरण मिलेगा।  
स्मार्ट सिटी परियोजना को लेकर प्रदेश सरकार के इपको (एनवायरनमेंटल प्लानिंग एण्ड कॉर्डिनेशन ऑर्गनाइजेशन) विभाग के लिए एसएफआरआई की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रतिभा भटनागर और उनकी टीम के जयप्रकाश जॉर्ज, राजेश बर्मन व आकाश शुक्ला ने शहर से लगे नेशनल हाईवे, कॉलोनी, प्रमुख मार्गों में लगे 58 अलग-अलग प्रजातियों के 1 से 100 साल पुराने करीब 20 हजार 755 पेड़-पौधों की सैम्पलिंग की थी, जिनकी जाँच में पाया गया कि ये पेड़-पौधे हर साल 629.67 टन कार्बन एडॉप्ट करते हैं। इसके अलावा शहर के 200 सरकारी-गैरसरकारी गार्डनों में से 43 पार्कों के पौधों की सैम्पलिंग में पाया गया है कि यहाँ लगे पौधे हर साल 1346.87 टन कार्बन एडॉप्ट करते हैं। 
कहाँ हो कैसा प्लान्टेशन 
नेशनल हाईवे 

बड़े वाहनों की आवाजाही होने से यहाँ सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। इसके अलावा यहाँ रोड डिवाइडर के साथ सड़क किनारे सप्तपणी, टिकोमा, नीम, शीशम, सिरसा जैसे पौधों का प्लान्टेशन होना चाहिए। 
कॉलोनी
 शहरी कॉलोनियों में जगह की कमी होती है, इसलिए यहाँ गुलमोहर, नीम, कसोद, करंज, अश्वमुख व अन्य तरह के पौधों का प्लान्टेशन होना चाहिए।  
बरगद में ज्यादा कार्बन खींचने की क्षमता 
रिसर्च में पाया गया कि बरगद सबसे ज्यादा कार्बन एडॉप्ट करता है, इसके बाद  गुलमोहर, करंज, कसोद, महानीम, नीम, पीपल, पेलटा फोरम, सफेद सिरसा, शीशम, कदम व अन्य छोटी प्रजातियों के पौधे शामिल हैं। 
 शहर की सड़कें
 ज्यादा वाहन और ट्रैफिक का ज्यादा दबाव होने के कारण शहर के प्रमुख मार्गों की सड़कों के किनारे और रोड डिवाइडरों पर गुलमोहर, शीशम, सप्तपणी, टिकोमा जैसे पौधे लगाए जाने चाहिए। 
 गार्डन
पार्कों में बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएँ और हर वर्ग के लोग व्यायाम और खेलकूद के साथ शुद्ध वायु लेने पहुँचते हैं। लिहाजा यहाँ बरगद, पीपल के साथ हर प्रजाति के पौधों को लगाया जा सकता है। 
इनका कहना है
स्मार्ट सिटी परियोजना में आधुनिक निर्माण के साथ प्रदूषण मुक्त वातावरण के भी पैमाने तय किए गए हैं, जिसको लेकर अर्बन प्लानिंग के तहत प्रदेश सरकार के इपको के लिए हमने यह रिसर्च की है। रिसर्च के तहत प्लान्टेशन किया जाए तो भविष्य में शहर कार्बन फ्री हो सकता है। 
-डॉ. प्रतिभा भटनागर, वरिष्ठ वैज्ञानिक व संयोजक पर्यावरण जलवायु कक्ष एसएफआरआई 
 

Created On :   5 Feb 2021 3:00 PM IST

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