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चुनावी पर्चा दाखिल करने भीड़ घुस आई तो किसी एक को सजा क्यों
डिजिटल डेस्क जबलपुर। लोकसभा निर्वाचन के दौरान सुरक्षा में हुई लापरवाही की सजा में किसी को राहत और किसी पर सख्ती के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने माना कि मामले में तीन अधिकारियों को लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए दंडित किया गया। जब दो की सजा समाप्त हो गई तो तीसरे अधिकारी को भी राहत क्यों नहीं दी गई। न्यायालय ने प्रकरण का निराकरण करते हुए होमगार्ड के डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट का भोपाल अटेचमेंट रद्द कर दिया।
जिला कमांडेंट नीरज सिंह ठाकुर की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया कि लोक सभा निर्वाचन के दौरान कलेक्ट्रेट जबलपुर में नामांकन कक्ष और आसपास की सुरक्षा में ओमती सीएसपी, टीआई के साथ उनकी भी तैनाती की गई थी। 8 अप्रैल 2019 को किसी एक पार्टी के प्रत्याशी तथा एक दर्जन अन्य पदाधिकारी नामांकन कक्ष के भीतर तक घुस आए। जबकि कक्ष में 5 लोगों से ज्यादा की एंट्री का प्रावधान ही नहीं है। इस मामले में कलेक्टर ने सीएसपी ओमती, टीआई तथा जिला कमांडेंट के खिलाफ शिकायत की। इसके बाद टीआई को संस्पेंड कर सीएसपी को तत्काल हटा दिया गया, जबकि जिला कमांडेंट का डीजी ऑफिस भोपाल में अटेचमेंट कर दिया गया।
कुछ समय बाद सीएसपी और टीआई को राहत दे दी गई जबकि याचिककर्ता पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। याचिका में कहा गया है कि जब उनकी ओर से मुख्यालय में रि-प्रेजेंटेशन दिया गया तो प्रशासन ने उनके अटेचमेंट को कंटीन्यू रखने की बात कही। आखिरकार, हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने गृह विभाग के अटेचमेंट आदेश को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता को राहत प्रदान की। प्रकरण में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता केसी गिलडियाल ने पैरवी की।
Created On :   1 Dec 2019 6:21 PM IST