धड़ल्ले से चल रहे अवैध नर्सिंग होम व पैथालॉजी लैब, ठण्डे बस्ते में कमिश्नर के निर्देश

Illegal Nursing Home and Pathology Lab Is Operating in shahdol
धड़ल्ले से चल रहे अवैध नर्सिंग होम व पैथालॉजी लैब, ठण्डे बस्ते में कमिश्नर के निर्देश
धड़ल्ले से चल रहे अवैध नर्सिंग होम व पैथालॉजी लैब, ठण्डे बस्ते में कमिश्नर के निर्देश

डिजिटल डेस्क शहडोल । निजी नर्सिंग होम तथा पैथालॉजियों की जांच संबंधी कमिश्नर के आदेश लगता है ठण्डे बस्ते में चली गई है। उक्त निजी संस्थाओं के संचालन में शासन के दिशा निर्देशों का पालन हो रहा है अथवा नहीं इसकी बारीकी से जांच के लिए कमिश्नर द्वारा तीन कमेटियों का गठन किया गया था। 15 दिन में जांच पूरी कर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के माध्यम से प्रतिवेदन प्रस्तुत करने निर्देश थे। यह अवधि 5 जनवरी को समाप्त हो चुकी है, लेकिन अभी तक एक भी समिति ने जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है। सूत्रों से पता चला है कि जांच प्रतिवेदन सौंपना तो दूर की बात है, समिति के लोग उन संस्थाओं में पहुंचे तक नहीं हैं, जिनकी जांच करनी है।
दोबारा जारी करना पड़ा आदेश
जांच में हीलाहवाली की जा रही है, यह इसी से जाहिर होता है कि जांच संबंधी आदेश दोबारा जारी करने पड़े। प्रभारी कमिश्नर गुलशन बामरा द्वारा निजी नर्सिंग होम तथा पैथालॉजियों की जांच संबंधी आदेश 22 दिसंबर को जारी किया था। इसके पहले तत्कालीन आयुक्त बीएम शर्मा द्वारा भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया था। लेकिन उसका पालन नहीं होते देख प्रभारी कमिश्नर को दोबारा आदेश जारी करना पड़ा।
तीन समिति में 9 अधिकारी
कमिश्नर द्वारा तीन समिति बनाई गई है। जिनमें 9 अधिकारी शामिल हैं। कमेटी में अपर कलेटक्टर सरोधन सिंह, बीएमओ डॉ. सचिन कारखुर, रूजोपचार अधिकारी राकेश श्रीवास्तव, संयुक्त कलेक्टर रमेश सिंह, बीएमओ डॉ. राजेश मिश्रा, धीरेंद्र श्रीवास्तव, डिप्टी कलेक्टर प्रशांत त्रिपाठी, बीएमओ डॉ. मनोज जायसवाल तथा लेखापाल सतेंद्र चक्रवर्ती के नाम शामिल हैं।
इसलिए जारी हुए जांच के आदेश
नगर व जिले में संचालित 12 निजी नर्सिंग होम तथा 15 पैथालॉजियों की जांच के आदेश जारी करने के पीछे का कारण यह बताया गया कि अधिकांश संस्थाओं द्वारा नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। विगत महीने दो नर्सिंग होम में ऐसे मामले सामने आए जिसमें यह पाया गया था कि जिन सुविधाओं  को लेकर पंजीयन किया गया वह पूरे नहीं करते। मरीजों की मौत के मामले भी सामने आए। यही हाल पैथालॉजियों का है। कहीं तकनीशिन नहीं तो कहीं वांछित सुविधाएं नहीं हैं। शिकायत व प्रकरण सामने आने पर प्रशासन सक्रिय हुआ, जांच कमेटी बनाई, लेकिन लगता है सारी कवायद दिखावे के लिए ही चल रही है।
नहीं मिले प्रतिवेदन
-15 दिन में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करना था, लेकिन अभी तक किसी भी समिति की ओर से प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है।
डॉ. राजेश पाण्डेय, सीएमएचओ

 

Created On :   8 Jan 2018 7:45 AM GMT

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