275 पद वाली मेडिकल यूनिवर्सिटी में सिर्फ 35 कर्मचारी

In medical university has not been Employee recruitment since 6 year
275 पद वाली मेडिकल यूनिवर्सिटी में सिर्फ 35 कर्मचारी
275 पद वाली मेडिकल यूनिवर्सिटी में सिर्फ 35 कर्मचारी

डिजिटल डेस्क जबलपुर। मेडिकल यूनिवर्सिटी बने 6 साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक वहां सरकार ने अधिकारियों, कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की है। यहां पर अधिकारियों, कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए व्यापमं से पद भरे जाने थे, लेकिन सरकार को कई बार इसके आवेदन देने के बाद कुछ नहीं हुआ। यूनिवर्सिटी में 275 पदों के मुकाबले सिर्फ 35 पर ही अधिकारी, कर्मचारी पदस्थ हैं। प्रदेश के सभी सरकारी, निजी मेडिकल कॉलेजों के साथ ही आयुष, नर्सिंग कॉलेज आदि में पढ़ाई के साथ ही उनकी परीक्षा और समय पर रिजल्ट घोषित करने की जिम्मेदारी उठा रही यूनिवर्सिटी में वर्तमान में नियमित परीक्षा नियत्रंक और रजिस्ट्रार तक नहीं हैं।
इन पदों को प्रतिनियुक्ति के द्वारा भरने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग को यूनिवर्सिटी प्रबंधन कई पत्र लिख चुकी है, लेकिन उस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जानकारी के अनुसार अधिकारियों, कर्मचारियों की कमी के साथ ही बजट के अभाव में सरकार न तो नई नियुक्ति करने की पहल कर रही है और न ही प्रतिनियुक्ति का निर्णय ले रही है। महत्वपूर्ण पदों पर प्रभारी, अधिकारी पदस्थ हैं जो जैसे-तैसे काम तो कर रहे हैं, लेकिन इसमें कॉलेजों की नियमित मॉनीटरिंग नहीं हो पा रही है।
कुलपति डॉ. आरएस शर्मा का कहना है कि अधिकारियों की कमी के बाद भी नर्सिंग कॉलेजों के साथ ही पीजी परीक्षा रिकॉर्ड समय में आयोजित कर 20 दिन में उसके रिजल्ट घोषित किए गए। इसके साथ ही एमडी के आगे की पढ़ाई भी शुरू की गई। मेडिकल एजुकेशन में प्रदेश को श्रेष्ठ माना जाने लगा है, लेकिन कर्मचारियों की कमी के कारण नियमित निगरानी का काम प्रभावित हो रहा है। यूनिवर्सिटी ने सरकार से संविदा आधार पर पद भरने की स्वीकृति मांगी है, जिसमें सेवानिवृत्त अधिकारियों, कर्मचारियों को प्राथमिकता दिए जाने का अनुरोध किया गया है। उनका कहना था कि यदि सरकार संविदा आधार पर नियुक्ति की स्वीकृति देती है तो नियुक्ति प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
बिल्डिंग का फिर भेजा प्रपोजल - 6 साल में मेडिकल यूनिवर्सिटी के पास अपनी बिल्डिंग नहीं है। इसके लिए पहले 468 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार किया गया था, जिसे अब सरकार ने नामंजूर कर दिया है। इसके पीछे पैसों की कमी को कारण बताया जा रहा है, अब नए सिरे से दूसरा प्रस्ताव भेजा गया है। नए प्रस्ताव में शासन की मंशानुसार 20-20 करोड़ रुपए राशि से कार्यों को पूरा किए जाने की बात कही गई है। ऐसी संभावना है कि इस नए प्रस्ताव को स्वीकृति मिल जाएगी, क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर बड़ा भार नहीं आएगा।  

 

Created On :   25 Dec 2017 1:31 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story