मुखबिर भारी जोखिम उठाते हैं, उन्हें इनाम देकर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुखबिर भारी जोखिम उठाकर सरकारी विभाग को सूचना देते है ऐसे में सरकार को मुखबिरों को हतोस्ताहित करनेवाले रवैया नहीं अपनाया चाहिए जिससे वे सूचनाओं को साझा करने के लिए आगे न आए। बांबे हाईकोर्ट ने यह बात कहते हुए केंद्र सरकार को एक मुखबिर की विधवा पत्नी को इनाम का बकाया राशि देने का निर्देश दिया है। मुखबिर ने कस्टम विभाग को करबी 90 लाख रुपए के हीरे की तस्करी के बारे में जानकारी दी थी। जिसके बाद कस्टम विभाग ने इसे जब्त किया था।
न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति अभय अहूजा की खंडपीठ ने कहा कि मुखबिरों को इनाम देने के पीछे का मुख्य उद्देश्य सरकारी खजाने की सुरक्षा के लिए उपाय करने की दिशा में कदम बढाना है। खंडपीठ ने मुखबिर चंद्रकांत धावरे की पत्नी जयश्री की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह बात कहीं। जयश्री ने याचिका में सरकार की नीति के तहत इनाम देने का निर्देश देने की मांग की थी। याचिका के मुताबिक कस्टाम विभाग ने 1991 में चंद्रकांत की सूचना के आधार पर तस्करी करके लाए गए हीरे जब्त किए थे। इसके बाद चंद्रकांत को कुछ समय के अंतराल के बाद 3 लाख रुपए का अग्रिम भुगतान किया गया था लेकिन फिर कई बार याद दिलाने के बावजूद बकाया अंतिम राशि का भुगतान नहीं किया गया।
सुनवाई के दौरान कस्टम विभाग के वकील ने खंडपीठ के सामने कहा कि इनाम की राशि का पूरा भुगतान करने से पहले यह देखना जरुरी था कि याचिकाकर्ता के पति वास्तविक रुप से मुखबिर थे कि नहीं लेकिन खंडपीठ ने कस्टम विभाग की इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि विभाग ने इनाम की राशि के कुछ हिस्से का दो बार अग्रिम भुगतान किया गया है। खंडपीठ ने कहा कि हालांकि इनाम की राशि की मांग करने को लेकर कोई कानूनी अधिकार नहीं है लेकिन इनाम की राशि न देने की अस्वीकृति मनमानी नहीं होनी चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि मुखबिर को लेकर सरकार का दृष्टिकोण उन्हें हतोत्साहित करनेवाला नहीं होना चाहिए। क्योंकि मुखबिर को इनाम देने का मुख्य उद्देश्य सरकारी खजाने की सुरक्षा के उपाय के रुप में कदम बढाना है। लेकिन दुर्भाग्यवश केंद्र सरकार ने इस मामले में कठोर रुख अपनाया है।
इस मामले से जुड़ी परिस्थितियों के मद्देनजर केंद्र सरकार को इस मामले को अधिक संवेदनशीलता से देखना चाहिए था। खंडपीठ ने केंद्र सरकार को 12 सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को इनाम की बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि हीरे जब्त करने के बाद कस्टम विभाग ने याचिकाकर्ता के पति को दो किश्तों में तीन लाख रुपए का भुगतान किया था। इस बीच साल 2010 में याचिकाकर्ता के पति की मौत हो गई। इसलिए याचिकाककर्ता ने कस्टम विभाग से इनाम की राशि देने के लिए निवेदन दिया लेकिन जब उस पर विचार नहीं किया गया तो जयश्री ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
Created On :   27 Jan 2023 8:25 PM IST