शराब दुकानों का लाईसेन्स रिन्यू करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज

Instead of joining the auction, the petitions challenging renewal of stores are rejected
शराब दुकानों का लाईसेन्स रिन्यू करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज
शराब दुकानों का लाईसेन्स रिन्यू करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज

डिजिटल डेस्क जबलपुर । प्रदेश के सात जिलों की शराब दुकानों को नीलामी में शामिल करने के बजाए उनका लाईसेन्स रिन्यू करने को चुनौती देने वाली तीन याचिकाएं हाईकोर्ट ने खारिज कर दी हैं। सोमवार को सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने मामलों पर हस्तक्षेप से इंकार करके सरकार की कार्रवाई को हरी झंडी दे दी। युगलपीठ ने कहा है कि सरकार अपने राजस्व को सुरक्षित रखने का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है और इस मामले पर लिया गया निर्णय नीतिगत है, जिस पर कोर्ट दखल नहीं दे सकती।
                      ये याचिकाएं जबलपुर के मनोज शर्मा, गुड्डू सिंह और भोपाल के प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की ओर से दायर की गई थीं। आवेदकों का कहना था कि वर्ष 2018-19 के लिए बनाई गई आबकारी नीति के प्रावधानों के खिलाफ जाकर बैतूल, होशंगाबाद, खण्डवा, सिवनी, छिंदवाड़ा, सागर और सतना की शराब दुकानों का लाईसेन्स उनके मौजूदा ठेकेदारों के पक्ष में रिन्यू कर दिया गया।  आवेदक मनोज शर्मा का दावा था कि नए ठेके की राशि पिछले ठेके की राशि से 70 फीसदी अधिक ही हो सकती है। जिन जिलों में ठेके की राशि 70 फीसदी तक नहीं पहुंचेगी, उनको नीलाम किया जाएगा। याचिकाओं में आरोप था कि लाईसेन्स रिन्यू करने से याचिकाकर्ता जैसे ठेकेदार न सिर्फ वंचित हो गए, बल्कि मौजूदा ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया, जिससे सरकार को ही राजस्व की हानि हुई है। इन आधारों पर 7 जिलों के लाईसेन्स ठेकों को रिन्यू करने संबंधी आदेश को चुनौती दी गई थी।
                                                        मामलों पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता अमित सेठ ने पक्ष रखा। उनकी दलील थी कि नई आबकारी नीति की कंडिका 1.1 से 1.4 तक के अनुसार यदि मदिरा दुकान एकल समूह के नवीनीकरण आवेदन एवं लॉटरी आवेदन की कुल राशि वर्ष के आरक्षित मूल्य के 70 प्रतिशत तक या उससे ज्यादा होती है, तो ऐसे आवेदकों के पक्ष में जिला समिति द्वारा पात्र पाए जाने पर नवीनीकरण व निष्पादन कर दिया जाएगा। गुलमोहर ट्रेडर्स और उसके सहयोगी फर्मों के अपात्र घोषित किए जाने पर इन सात जिलों में आरक्षित मूल्य से 70 प्रतिशत से कम होने पर भी दुकानों का नवीनीकरण व निष्पादन कर दिया गया। ऐसे में इस कार्रवाई को अनुचित नहीं ठहराया जा सकता। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने मामलों पर दखल से इंकार करके याचिकाएं खारिज कर दीं। हालांकि, सुनवाई के बाद युगलपीठ द्वारा सुनाए गए विस्तृत आदेश की फिलहाल प्रतीक्षा है।

Created On :   26 March 2018 7:42 PM IST

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