जुर्माने की राशि से कैदियों को किताब खरीदने 50-50 हजार देने का निर्देश 

Instructions to give 50-50 thousand to the prisoners to buy books from the amount of fine
जुर्माने की राशि से कैदियों को किताब खरीदने 50-50 हजार देने का निर्देश 
हाईकोर्ट जुर्माने की राशि से कैदियों को किताब खरीदने 50-50 हजार देने का निर्देश 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कैदियों को किताबों के लिए एफआईआर रद्द करने के एवज में लगाए गए जुर्माने की रकम में से दो जेलों को 50-50 हजार रुपए देने का निर्देश दिया है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने भीमा-कोरेगांव एल्गार परिषद मामले के आरोपी गौतम नवलखा को उनके घर से भेजी गई अंग्रेजी लेखक पीजी वोड हाउस की एक हास्य आधारित किताब को नई मुंबई जेल प्रशासन ने सुरक्षा के लिए खतरा बताकर देने से मना कर दिया था। इस पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई थी। न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति एसएम मोडक की खंडपीठ ने एक अन्य मामले के तीन आरोपियों व शिकायतकर्ता को जुर्माने के तौर पर जेल महानिरीक्षक के खाते में तीन सप्ताह में 50-50 हजार रुपए का डिमांड ड्राफ्ट जमा करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने जेल महानिरीक्षक को कहा है कि वे जुर्माने के रुप में मिलनेवाली रकम में से 50-50 हजार रुपए मुंबई की आर्थर रोड व नई मुंबई के तलोजा जेल की लाइब्रेरी में किताबे खरीदने के लिए प्रदान करे। यह पहला मौका नहीं है जब हाईकोर्ट ने जुर्माने की रकम को जेल में किताब खरीदने के लिए इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है। ताकि जेल की लाइब्रेरी किताबों से समृद्ध हो सके। फिलहाल तलोजा जेल की पुस्तकालय में 2 हजार 800 किताबें मौजूद हैं।  

इस लिए अदालत ने लगाया जुर्माना 

मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि एक निजी कंपनी के तीन निदेशकों के खिलाफ उनके साथी ने पैसों के लेनदेन को लेकर पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। शिकायत में दावा किया गया था कि आरोपियों ने कंपनी में निवेश का वादा किया था लेकिन उन्होंने अपना वादा पूरा नहीं किया। इसके उलट आरोपियों ने पैसों का गबन किया। शिकायत में दावा किया गया था कि आरोपियों ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर वेतन जारी किया। जबकि इन रिश्तेदारों ने कभी काम नहीं किया। इस बीच आरोपियों ने शिकायतकर्ता के साथ मिलकर आपसी सहमति से मामले को सुलझा लिया और कोर्ट में मामला रद्द करने की मांग को लेकर याचिका दायर की। याचिका में आरोपियों ने कहा कि वे शिकायतकर्ता को एक करोड़ 43 लाख रुपए लौटाने को राजी हैं। इसमे से कुछ रकम दे दी गई है। शेष रकम को लेकर पोस्ट डेटेड चेक दे दिए गए हैं। शिकायतकर्ता को मामला रद्द करने पर आपत्ति नहीं है। वह आरोपियों की कंपनी को सहयोग देने को तैयार है। इस दौरान सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस मामले की जांच में अपना समय गवांया है। गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। इसलिए आरोपियों को राहत न दी जाए। इन तथ्यों पर विचार करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए आरोपियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर  को रद्द किया जाता है लेकिन उन पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। खंडपीठ ने शिकायतकर्ता पर भी 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। 

Created On :   19 May 2022 9:09 PM IST

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