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गिराई जा चुकी श्मशानभूमि का दोबारा निर्माण करने का जिलाधिकारी को निर्देश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मछुआरों की श्मशान भूमि को गिराए जाने के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए मुंबई की उपनगर जिलाधिकारी को दोबारा उसी स्थान पर श्मशानभूमि का दोबारा निर्माण करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने श्मशानभूमि के निर्माण का खर्च याचिकाकर्ता से वसूल करने का निर्देश दिया है। क्योंकि याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि श्मशान भूमि का निर्माण नियमों के विपरीत किया गया है। जिसके बाद श्मशानभूमि के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इस संबंध में एक होटल व्यवसायी ने भी उपनगरजिलाधिकारी कार्यालय को शिकायत दी थी।
मुख्य न्यायधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने इससे पहले कहा था कि मलाड के एरंगल इलाके में स्थित श्मशान भूमि को उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना ही गिराया है। सामाजिक कार्यकर्ता चेतन व्यास ने श्मशानभूमि के अवैध निर्माण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि कोस्टर रेग्युलेशन जोन से जुड़े नियमों का उल्लंघन करके श्मशान भूमि का निर्माण किया गया है। गुरुवार को खंडपीठ ने व्यास की खारिज कर दिया।
इसके साथ ही खंडपीठ ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया और उससे श्मशान भूमि के दोबारा निर्माण का खर्च भी वसूल करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने एक माह के भीतर उपनगर जिलाधिकारी को श्मशानभूमि से जुड़ा काम पूरा करने को कहा है। यही नहीं उप जिलाधिकारी को 10 नवंबर को इस बारे में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान उपनगर जिलाधिकारी निधि चौधरी ने कहा था कि उन्होंने सिर्फ इस मामले में कोस्टल रेग्युलेशन जोन एथारिटी के निर्देशों का पालन किया था।
Created On :   29 Sept 2022 8:44 PM IST