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मौत के 18 महीने बाद भी नहीं मिला बीमा क्लेम..!- 24 घंटे में सेटलमेंट का दावा हवा-हवाई
परिजनों ने कहा, शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रहे जिम्मेदार
डिजिटल डेस्क जबलपुर । स्वास्थ्य बीमा लेना आम आदमी पहले राहत भरी बात समझता था लेकिन अब पॉलिसी धारक समझने लगा है कि स्वास्थ्य बीमा लेना टेंशन की तरह है। जिस तरह पुलिस मुजरिमों से पूछताछ करती है, ठीक उसी तरह का व्यवहार बीमा कंपनी के सदस्यों द्वारा बीमा क्लेम देने के दौरान किया जाता है। क्लेम न देना पड़े इसके लिए अनेक प्रकार से पूछताछ करने के साथ ही कई खामियाँ दस्तावेजों में निकाली जाती हैं, जिससे पॉलिसी धारक खुद भड़क जाए और वह क्लेम न ले। ये आरोप पॉलिसी धारकों द्वारा लगाए जा रहे हैं। पॉलिसी बेचते वक्त बीमा कंपनियों व एजेंटों के द्वारा लुभावने सपने दिखाए जाते हैं और उसके बाद अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता। कैशलेस करने से कंपनी पहले ही मना कर देती है और उसके बाद क्लेम सेटल करने में भी बीमा कंपनी हाथ खड़े कर लेती है। निजी बीमा कंपनियाँ वर्तमान में पूरी तरह से पॉलिसी धारकों से पीछा छुड़ाने में लगी हैं। कटनी निवासी युवक की मौत के 18 महीने बाद भी क्लेम सेटल नहीं किया गया और एक कंपनी ने दूसरे के नाम पर पॉलिसी जारी कर दी और महीनों बाद भी सुधार नहीं कर रही है।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
केस.1 - यूनिवर्सल सोम्पो कंपनी ने आज तक पॉलिसी सेटल नहीं की
कटनी मानसरोवर कॉलोनी निवासी शिक्षक डेविड कुक एक सड़क हादसे में घायल होने के बाद 23 दिसम्बर 2019 को इलाज के दौरान उन्होंने दमतोड़ दिया। पेशे से शिक्षक रहे डेविड की यूनिवर्सल सोम्पो कंपनी से बीमा पॉलिसी थी। उनकी मौत के बाद उनके वारिस को बीमा क्लेम मिलना था। परिजनों ने बीमा कंपनी को सारे दस्तावेज उपलब्ध करा दिए थे। दस्तावेज ऑनलाइन व ऑफलाइन जमा करने के बाद बीमा कंपनी ने सतना से क्लेम सेटल करने वाले अधिकारी श्री जैन को उनके घर परीक्षण के लिए भेजा था और वे वादा कर गए थे कि जल्द ही बीमा क्लेम सेटल कर देंगे और नॉमिनी के खाते में राशि पहुँच जाएगी, लेकिन 18 महीने बीत जाने के बाद भी आज तक बीमा क्लेम सेटल नहीं किया गया। परिवार के सदस्य बीमा कंपनी को मेल कर रहे हैं पर वहाँ से किसी तरह का जवाब नहीं आ रहा है। पीडि़त परिवार के सदस्यों का आरोप है कि बीमा कंपनी के मुंबई ऑफिस में पदस्थ गीतांजलि विजय घडीगांवकर से फोन पर बात हुई थी। उन्होंने आश्वासन दिया था कि जल्द ही क्लेम सेटल कर दिया जाएगा लेकिन अब तो वे फोन तक रिसीव नहीं करती हैं।
केस.2 - स्टार हेल्थ ने दूसरे के नाम पॉलिसी बना दी और नहीं कर रही सुधार
अधारताल महाराजपुर निवासी राजेन्द्र पटैल ने शिकायत में बताया कि उन्होंने स्टार हेल्थ से पाँच लाख की पॉलिसी एजेंट के माध्यम से कराई थी। महीनों बाद पॉलिसी उन्हें प्राप्त हुई, लेकिन जब पॉलिसी प्राप्त हुई तो उसमें गलत नाम दर्ज था। नाम सुधरवाने के लिए महिला एजेंट को कहा, तो उन्होंने कहा कि हम तो बीमा कंपनी छोड़ चुके हैं और अब कुछ भी नहीं करा सकते। राजेन्द्र ने टोल-फ्री नंबर पर संपर्क किया तो वहाँ से किसी तरह का उत्तर नहीं मिला। उसके बाद स्टार हेल्थ के लोकल ऑफिस से संपर्क किया और वहाँ पहुँचकर अपनी समस्या बताई। समस्या सुनने के बाद वहाँ मौजूद स्टाफ का कहना था कि यह एजेंट के माध्यम से ही आप कराएँ। हम कुछ नहीं कर सकते। अब पीडि़त पॉलिसी सुधरवाने के लिए लगातार चक्कर लगा रहे हैं पर उनकी सुनवाई कही नहीं हो रही है। वहीं एजेंट का कहना है कि हम जिस कंपनी में अभी काम कर रहे हैं उस कंपनी से आपकी हेल्थ पॉलिसी कर देते हैं। पीडि़त का कहना है कि इंश्योरेंस कंपनी से हमें मानसिक टेंशन हो गई है और अगर सुधार नहीं हुआ तो हम मामला न्यायालय में लेकर जाएँगे।
हम नहीं दे सकते
वहीं यूनिवर्सल सोम्पो कंपनी के स्थानीय ब्रांच अधिकारी से पॉलिसी धारक के क्लेम के संबंध में संपर्क किया गया, तो किसी भी तरह का उत्तर देने से मना कर दिया गया। इसके अलावा भोपाल, मुंबई कार्यालय में पदस्थ जिम्मेदार भी जवाब नहीं दे रहे हैं।
हम करेंगे उनका निराकरण
स्टार हेल्थ की पॉलिसी में गलत नाम दर्ज हो गया है, तो पॉलिसी धारक हमसे सीधे आकर संपर्क करें। हम उनकी समस्या का निराकरण करेंगे। जल्द ही नाम सुधार कर उन्हें पॉलिसी देने हम तैयार हैं।
-धीरज कुमार, स्टार हेल्थ
Created On :   28 May 2021 2:17 PM IST