मौत के बाद भी नहीं पसीज रहीं बीमा कंपनियाँ ; बीमा पॉलिसी धारकों ने लगाए गंभीर आरोप, कहा -  क्लेम की जगह हाथ लग रहा भटकाव

Insurance companies are not sweating even after death; Insurance policy holders made serious allegations, said
मौत के बाद भी नहीं पसीज रहीं बीमा कंपनियाँ ; बीमा पॉलिसी धारकों ने लगाए गंभीर आरोप, कहा -  क्लेम की जगह हाथ लग रहा भटकाव
मौत के बाद भी नहीं पसीज रहीं बीमा कंपनियाँ ; बीमा पॉलिसी धारकों ने लगाए गंभीर आरोप, कहा -  क्लेम की जगह हाथ लग रहा भटकाव

डिजिटल डेस्क जबलपुर । इलाज के दौरान परिवार के सदस्य को पॉलिसी धारक पहले ही खो चुके हैं। दु:ख के वेदना से वे बाहर निकल नहीं पा रहे हैं कि इंश्योरेंस कंपनियाँ उनके साथ छलावा करने लगी हैं। क्लेम देने के नाम पर तरह-तरह के दस्तावेज मंगाए जा रहे हैं। आरोप है कि अस्पताल के बिल, रिपोर्ट तथा दवाओं के बिल ऑनलाइन (मेल के जरिए) भेजे जाते हैं, पर बाद में तरह-तरह की खामियाँ निकालकर पीडि़तों के बिलों का क्लेम देने से इनकार किया जा रहा है। ऐसी एक नहीं बल्कि अनेक शिकायतें आ रही हैं। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि जिस उम्मीद से हमने बीमा कराया था उसमें इंश्योरेंस कंपनियाँ खरी नहीं उतर रही हैं। कंपनियों को पहले ही कह देना था कि हम सिर्फ बीमा करते हैं, क्लेम नहीं देते, तो हम लोग बीमा कराने से पहले सोचते कि बीमा कराना उचित होगा या नहीं। अस्पताल का बिल हम लोगों ने कर्ज लेकर भर दिया था कि जब बीमा कंपनियाँ हमें रुपए देंगी तो जिससे रुपए उधार लिए हैं उसे दे देंगे...पर अब पॉलिसी होल्डर ऐसा नहीं कर पा रहे हैं।
बेटे की मौत के बाद बीमा कंपनी ने खड़े किए हाथ, नहीं मिली राशि
कटनी शांति नगर निवासी मोतीलाल रुचंदानी ने शिकायत में बताया कि स्टार हेल्थ से उन्होंने पॉलिसी ली थी। उनके बेटे सुनील का फरवरी 2021 में अचानक स्वास्थ्य खराब हो गया था। पीलिया होने के कारण उसे जबलपुर के निजी अस्पताल में इलाज के लिए 23 फरवरी को भर्ती कराया था। वहाँ पर मेडिक्लेम के माध्यम से इलाज चल रहा था। तीन दिन के बाद अचानक बेटे सुनील रुचंदानी का निधन हो गया। बेटे के निधन के बाद अस्पताल वालों ने कहा कि आपका मेडिक्लेम काम नहीं कर रहा है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा 1 लाख 83 हजार रुपए जमा करने का दबाव बनाया जाने लगा। परेशान होकर उन्होंने अपने रिश्तेदारों से रुपए उधार लिए और उसके बाद अपने बेटे का शव लेकर वे कटनी आए। वे लगातार बीमा कंपनी से अस्पताल व दवाइयों के बिल भुगतान के बारे में संपर्क कर रहे हैं पर स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी क्लेम देने से मना कर रही है।
रिपोर्ट में कोरोना संदिग्ध, फिर भी मानने को तैयार नहीं है बीमा कंपनी
कोरोना संक्रमण का शिकार होने पर सदर निवासी भावना सिंह ने अपने पति दिलीप सिंह को उपचार के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था। इलाज के दौरान पति दिलीप सिंह की 28 जुलाई 2020 को मौत हो गई थी। उनका अंतिम संस्कार कोरोना गाइडलाइन के तहत गुप्तेश्वर मुक्तिधाम में किया गया था। उनकी मेडिकल रिपोर्ट तथा गुप्तेश्वर मुक्तिधाम में कोरोना संदिग्ध लिखा हुआ है। पति ने फ्यूचर जनरल हेल्थ इंश्योरेंस से कोरोना रक्षक पॉलिसी ले रखी थी। पति की मौत के बाद परिजनों द्वारा उक्त पॉलिसी के माध्यम से कंपनी में क्लेम किया गया, तो कंपनी से जवाब आया कि आपके पति की कोरोना से मौत नहीं हुई है, इसलिए हम ये क्लेम नहीं दे सकते। घर के मुखिया को खो चुकी भावना लगातार कंपनी में आवेदन दे रही हैं, पर वहाँ कोई नहीं सुन रहा है, जबकि वे कोरोना से मौत होने के दस्तावेज दे चुकी हैं।
कह रहे ... 55 वर्ष के बाद नहीं देते हैं बीमा का लाभ
माढ़ोताल निवासी अनीता जैन ने बताया कि उनके पति राकेश जैन का माढ़ोताल स्थित बैंक में खाता है। बैंक में वे प्रति वर्ष 12 रुपए व 330 रुपए का बीमा (पॉलिसी नंबर 900100032) कराते आ रहे हैं। दोनों बीमा की राशि मृत्यु उपरांत परिवार के उत्तराधिकारी को (खाताधारी के उत्तराधिकारी) को मिलने का प्रावधान है। पति राकेश जैन की 26 फरवरी को मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद लॉकडाउन लग गया था, जिसके कारण परिवार के सदस्य कहीं जा नहीं सके। लॉकडाउन खुलने व कोरोना संक्रमण कम होने के बाद बैंक में जाकर संपर्क किया गया, तो बीमा की राशि देने से इनकार कर दिया गया। पॉलिसी के संबंध में जवाब दिया गया कि 55 वर्ष से अधिक उम्र वालों की मौत होने पर बीमा की राशि नहीं दी जाती है, जबकि लगातार बैंक से बीमा की राशि काटी जा रही थी। परेशान होकर पीडि़ता ने न्याय की गुहार लगाई है।
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Created On :   30 April 2021 2:12 PM IST

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