पति के करीबियों को फंसाना हो गई है आम बात -दहेज प्रताडऩा के आरोप से डॉक्टर मुक्त - हाईकोर्ट

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पति के करीबियों को फंसाना हो गई है आम बात -दहेज प्रताडऩा के आरोप से डॉक्टर मुक्त - हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क जबलपुर । दहेज प्रताडऩा के आरोप में फंसे बैतूल के एक डॉक्टर को हाईकोर्ट से राहत मिली है। जस्टिस जेपी गुप्ता की एकलपीठ ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि पति के करीबी रिश्तेदारों को दहेज एक्ट में फंसाना आम बात हो गई है। अदालत ने शिकायतकर्ता महिला के जेठ को दहेज प्रताडऩा के आरोप से मुक्त करते हुए शेष आरोपियों के खिलाफ मुकदमा जारी रखने के निर्देश निचली अदालत को दिए हैं। हाईकोर्ट ने यह फैसला बैतूल के बालाजी विहार कॉलोनी में रहने वाले डॉ. नितिन मौसिक की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका पर दिया। इस मामले में आवेदक का कहना था कि उसके भाई का विवाह पूर्णिमा से 11 मई 2014 को हुआ था। 18 जुलाई 2018 को पूर्णिमा ने बैतूल के ही कोतवाली थाने में अपने पति, सास, ससुर और जेठ (याचिकाकर्ता) के खिलाफ दहेज प्रताडऩा की शिकायत दी। पुलिस ने दहेज प्रतिषेध अधिनियम और भादंवि की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस द्वारा पेश किए गए चालान के बाद यह मामला बैतूल की जिला अदालत में विचाराधीन था। बहू की शिकायत पर चल रहे मुकदमों को चुनौती देकर यह पुनरीक्षण याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। मामले पर हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिशिर सोनी ने अदालत को बताया कि उनका मुवक्किल अपने माता-पिता और भाई के साथ रहने के बजाए होशंगाबाद में अलग रहता है। उसका दहेज प्रताडऩा के मामले से कोई लेना देना नहीं है और न ही किसी तरह से उसने अपनी बहू को प्रताडि़त किया है। सुनवाई के बाद अदालत ने पाया कि पूर्णिमा ने याचिकाकर्ता पर सिर्फ आरोप लगाए हैं, लेकिन किसी भी एक घटनाक्रम का जिक्र उसने नहीं किया है। अदालत ने अपनी राय देकर कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता को दुर्भावनापूर्वक फंसाया गया है। सुप्रीम कोर्ट की नजीरों का हवाला देकर अदालत ने सुनवाई के बाद याचिका मंजूर करते हुए संबंधित मुकदमें में से याचिकाकर्ता का नाम हटाने के आदेश दिए।

Created On :   3 Dec 2019 8:56 AM GMT

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