सार्वजनिक तौर पर किसी पुरुष को नपुंसक कहने पर उसका शर्मिदां होना स्वाभाविक

It is natural to be ashamed of calling a man impotent in public - HC
सार्वजनिक तौर पर किसी पुरुष को नपुंसक कहने पर उसका शर्मिदां होना स्वाभाविक
हाईकोर्ट सार्वजनिक तौर पर किसी पुरुष को नपुंसक कहने पर उसका शर्मिदां होना स्वाभाविक

डिजिटल डेस्क, मुंबई।  सार्वजनिक तौर पर किसी पुरुष को नपुंसक कहने से उसका शर्मिंदा होना स्वाभाविक है। यह बात कहते हुए बांबे हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को अपनी पत्नी की हत्या के मामले से बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जब आरोपी अपने कार्य पर जा रहा था उस समय उसकी पत्नी ने उसे  रोक कर काफी गुस्सा दिलाया और उसे नपुंसक कहा था जबकि आरोपी तीन बच्चों का पिता था। न्यायमूर्ति साधना जाधव व न्यायमूर्ति पीके चव्हाण की खंडपीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद आरोपी नंदु सुरवासे की आजीवन कारावास की सजा को बदलते हुए उसे 12 साल कर दिया। चूंकि आरोपी 12 साल जेल में रह चुका था। इसलिए खंडपीठ ने उसे बरी करने का निर्देश जारी किया। आरोपी की अपील पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि आरोपी व उसकी पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद चल रहा था। दोनों एक दूसरे से चार साल से अलग रह रहे थे। इससे पहले दोनों 15 साल साथ में थे और उन्हें तीन बच्चे हुए थे। 28 अगस्त 2009 को जब आरोपी (पति) अपने काम पर जा रहा था तो बस डिपो पर खड़ी उसकी पत्नी ने उसका रास्ता रोका। यही नहीं आरोपी की पत्नी ने उसका हाथ व कालर भी पकड़ लिया और उसे गालिया देने लगी। मामले से जुड़े एक प्रत्यक्षदर्शी गवाह के मुताबिक आरोपी की पत्नी ने सड़क पर न सिर्फ अपने पति को गालिया दी बल्कि उसे कई बार नपुंसक भी कहा। इस दौरान आरोपी की पत्नी ने यह भी कहा कि चूंकि उसका पति नपुंसक है, इसलिए वह उससे अलग रह रही है। इसी झगड़े के दौरान आरोपी ने अपनी पत्नी को मारा जिससे उसकी मौत हो गई

आरोपी के वकील ने खंडपीठ के सामने कहा कि उसकी मुवक्किल को काफी तेज गुस्सा दिलाया गया। यहीं नहीं मेरे मुवक्किल की पत्नी ने उसे नपुंसक कहा था जिसने उसके आत्मसम्मान व स्वाभिमान को चोट पहुंचायी थी। जिससे मेरा मुवक्किल अपना आपा खो बैठा। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि आरोपी की पत्नी ने सड़क पर सार्वजनिक रुप से आपत्तिजनक टिप्पणी करके अपने पति को सबके सामने शर्मिंदा किया था। जिस तरह की बात आरोपी की पत्नी ने कही थी उससे किसी भी पुरुष का शर्मिंदा होना स्वाभाविक है। आरोपी ने किसी तय योजना के तहत अपनी पत्नी की हत्या नहीं की है। इसलिए उसे हत्या के आरोप में दोषी नहीं माना जा सकता है। इस तरह खंडपीठ ने आरोपी को मामले से बरी कर दिया। 

Created On :   10 Feb 2022 8:04 PM IST

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