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ई वाहनों के इस्तेमाल को प्रोत्साहन मिलना जरुरी - इसके विरोध की चुनौती को स्वीकार करना अनुचित
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रगति के वर्तमान दौर में ई-वाहनों के इस्तेमाल के विरोध से जुड़ी चुनौती को स्वीकार करना पूरी तरह से अनुचित होगा। वास्तव में ऐसे वाहनों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने की जरुरत है। हाईकोर्ट ने यह बात एक नगर परिषद द्वारा घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करने व कचरे के परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक वाहन (ई-वाहन) के इस्तेमाल के निर्णय के खिलाफ दायरयाचिका को खारिज करकते हुए कही। इसके साथ ही इस दौरान हाईकोर्ट ने अंबरनाथ नगरपरिषद के प्रशासक की ओर से कचरे की ढुलाई के लिए ई वाहनों के इस्तेमाल को लेकर लिए गए फैसले की सारहना की। इस मुद्दे को लेकर समीक्षा कंस्ट्रक्शन कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
याचिका में नगरपरिषद की ओर से जारी टेंडर नोटिस को चुनौती दी गई थी। नोटिस में साफ किया गया था कि मनपा के कचरे की ढुलाई के लिए सिर्फ ई वाहनों की खरीदी की जाएगी। याचिका में दावा किया गया था तत्काल ई वाहन उपलब्ध नहीं हो सकते है इसलिए टेंडर प्रक्रिया का पूरा हो पाना मुश्किल है। याचिका में मुख्य रुप से नगर परिषद के प्रशासक के अधिकार पर भी सवाल उठाए गए थे। याचिका में कहा गया था कि प्रशासक इस बारे में निर्णय नहीं ले सकता है। क्योंकि यह नीतिगत मामला है।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति अभय अहूजा की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के वर्तमान समय में जब ई-वाहनों की ओर एक बदलाव रुप में देखा जा सकता है। इस परिस्थिति में ऐसे वाहनों के विरोध की चुनौती को स्वीकार करना अनुचित होगा। खंडपीठ ने कहा कि वास्तव में हमें कचरा इकट्ठा करने व परिवहन के लिए ई वाहनों के इस्तेमाल को सुनिश्चित करनेवाले प्रशासक के प्रयास की सराहना करनी चाहिए। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने याचिका को आधारहीन माना और उसे खारिज कर दिया।
Created On :   30 Nov 2022 9:58 PM IST