युवा को अपराधियों के बीच रखना उचित नहीं, हाईकोर्ट ने दी जमानत

It is not right to put a youth among with criminals - High Court
युवा को अपराधियों के बीच रखना उचित नहीं, हाईकोर्ट ने दी जमानत
युवा को अपराधियों के बीच रखना उचित नहीं, हाईकोर्ट ने दी जमानत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। एक युवा को जेल में अपराधियों के बीच रखना उचित नहीं होगा। यह कहते हुए बांबे हाईकोर्ट ने मारपीट के एक मामले में आरोपी 21 वर्षीय युवक को जमानत प्रदान की है। अवकाश जस्टिस वीएल अचलिया ने आरोपी रोशन पंजे को जमानत देते हुए कहा कि वह दोबारा मारपीट के मामले में संलिप्त न हो। इसके साथ प्रकरण से जुड़े सबूत के साथ छेड़छाड न करें।

सुनवाई के दौरान पंजे के वकील ने कहा कि ऑटो रिक्शा की पार्किंग के चलते मेरे मुवक्किल का विवाद हुआ था।  फिर पुलिस ने मेरे मुवक्किल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 326,323, 324, 504, 143, 147,149 के तहत मामला दर्ज किया था। पंजे के वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल की उम्र 21 साल है वह फिलहाल पढाई कर रहा है। पुलिस ने मेरे मुवक्किल के खिलाफ जो मामला दर्ज किया है वह उसके खिलाफ बनता ही नहीं है।

सरकारी वकील ने आरोपी की जमानत का विरोध किया। सरकारी वकील ने कहा कि यदि आरोपी को जमानत दी जाती है तो वह न सिर्फ गवाहों पर दबाव बना सकता है बल्कि फरार भी हो सकता है। जस्टिस अचलिया ने दोनों पक्षों की दलीलों व आरोपी की उम्र पर गौर करने के बाद कहा कि अभी इस प्रकरण का मुकदमा शुरु होने में वक्त लगेगा। ऐसे में इतनी कम उम्र के आरोपी को जेल में दुरदांत अपराधियों के साथ रखना उचित नहीं होगा।

जस्टिस ने आरोपी को 25 हजार रुपए के मुचलके व दो जमानतदार देने की शर्त लगाकर जमानत प्रदान कर दी। जस्टिस ने आरोपी को कहा कि वह दोबारा इस तरह के अपराध में संलिप्त न हो। इसके साथ ही हर महीने की आखिरी तारिख को खड़कपाडा पुलिस स्टेशन में हाजरी लगाने को कहा है।

 

Created On :   22 May 2018 6:09 PM IST

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