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बिना सुनवाई सोसायटी पंजीयन का आवेदन निरस्त करना गलत
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि िबना सुनवाई सोसायटी पंजीयन का आवेदन निरस्त करना गलत है। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने उप पंजीयक को आदेशित किया है कि सोसायटी पंजीयन के लिए सुनवाई का अवसर देते हुए आदेश पारित किया जाए। यदि याचिकाकर्ता की संस्था का पंजीयन हो जाता है तो उसे जलाशय का पट्टा प्रदान करने संबंधी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए नियमानुसार कार्रवाई की जाए।ग्राम पंचायत बरहाटोला ब्यौहारी शहडोल निवासी अनिल कहार की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि उसने उप पंजीयक शहडोल को निषादराज मछुआ समिति के पंजीयन के लिए आवेदन दिया था। उप पंजीयक ने उसे सुनवाई का अवसर दिए बगैर उसका आवेदन इस आधार पर निरस्त कर दिया कि पूर्व में उस क्षेत्र में एक समिति पंजीकृत है। अधिवक्ता मनोज कुशवाहा ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने 12 सितंबर 2005 को गाइडलाइन जारी की है कि वंशानुगत मछुआरों को ही मछली पकडऩे का कार्य दिया जाए। ऐसी समिति जो मछली पालन का व्यवसाय नहीं कर रही है, उनका पंजीयन निरस्त कर नई समिति को पंजीकृत किया जाए। एकलपीठ ने िबना सुनवाई सोसायटी पंजीयन के आवेदन को गलत बताते हुए पंजीयन के लिए सुनवाई का अवसर देकर आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।
Created On :   17 Sep 2020 9:19 AM GMT