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राज्य के पुलिस महानिदेशक के तौर पर काम करना हो गया था असंभव - संजय पांडे
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के पुलिस महानिदेशक पद छोड़ने के बाद आईपीएस अधिकारी संजय पांडे ने सोशल मीडिया के जरिए बयान जारी कर रहा है कि उनकी ईमानदारी पर शक किया गया था जिसके चलते उनके लिए डीजीपी के तौर पर काम करना असंभव हो गया था। हालांकि उन्होंने यह भी लिखा कि हाल के दिनों में सिस्टम ने मेरे करियर के रिकॉर्ड के साथ अतीत में हुए अन्याय को दूर करने का काम किया। फेसबुक पोस्ट में पांडे ने लिखा कि मैं पद को छोड़ते हुए बताना चाहता हूं कि न तो डीजीपी के रुप में अतिरिक्त प्रभार लेने के लिए तरस रहा था न ही जिम्मेदारी दिए जाने के बाद मैं विचलित हुआ। उन्होंने लिखा कि वे बिना पछतावे के पद छोड़ रहे हैं।
बता दें कि पांडे पिछले साल अप्रैल महीने से राज्य के कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर काम कर रहे थे। सरकार ने हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद रजनीश सेठ के डीजीपी पद की जिम्मेदारी सौंपी है। जिम्मेदारी छोड़ने के बाद पांडे ने ट्वीट कर लिखा कि मुंबई उच्च न्यायालय में कानूनी बहस के दौरान मेरी ईमानदारी पर हमला करने वाली निराधार टिप्पणी की गई थी जिसके चलते डीजीपी के तौर पर काम करना मेरे लिए असंभव हो गया था। इसलिए इसे सही परिपेक्ष्य में रखना उचित समझा। उन्होंने लिखा कि पुलिस महानिदेशक का पद जिम्मेदारियों में से है जिसके लिए जेब में त्यागपत्र तैयार रखना होता है।
जब मुझे डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया तो मैं लंबे करियर के अंत की दिशा में बढ़ गया और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। मैंने बिना किसी पछतावे के अतिरिक्त प्रभार छोड़ दिया है। पांडे के मुताबिक 10 महीनों के दौरान उन्हें दीर्घकालिक नीति परिवर्तन में योगदान का मौका मिला। पांडे के मुताबिक मजबूत रीढ़ की हड्डी वाले पुलिसकर्मियों को करियर के दौरान विवादास्पद मोड़ों का समाना करना पड़ता है जो शासन की खास बात है। पांडे राज्य के सुरक्षा निगम के प्रबंध निदेशक के रुप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि उन्होंने राज्य सरकार के कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के पद खत्म करने का प्रस्ताव भेजा है जिसमें यह पद भी है। इसके अलावा उन्होंने डीजी सिविल डिफेंस का भी पद खत्म करने का प्रस्ताव भेजा है।
Created On :   21 Feb 2022 6:35 PM IST