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‘MP एग्रो तो छोटा खिलाड़ी, बड़ी खिलाड़ी तो तीनों कंपनियां , जिन्हें 9 सालों तक फायदा मिला’- हाईकोर्ट

जबलपुर।पोषण आहार सप्लाई के मामलों पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मंगलवार को दो टूक कहा कि इस घोटाले में एमपी एग्रो तो छोटी खिलाड़ी थी, जबकि बड़े खिलाड़ी तो वो तीनों कंपनियां थीं, जिन्हें वर्ष 2009 से लेकर 2018 तक लगातार फायदा पहुंचाया गया। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए एक बार फिर से साफ किया कि पूर्व में ब्लैक लिस्टेड की गईं तीनों कंपनियों या उसके कोई भी भागीदार नए ठेके में शामिल नहीं होना चाहिए। लंबी अवधि के ठेके का प्रारूप बनाकर उसे पेश करने के निर्देश सरकार को देकर युगलपीठ ने मामलों पर सुनवाई चार सप्ताह के लिए मुलतवी कर दी। युगलपीठ ने ये निर्देश इन्दौर से ट्रांसफर होकर आए तीन मामलों पर मंगलवार को 20 मिनट तक चली सुनवाई के बाद दिए। सुनवाई के दौरान ठेकेदार कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र तिवारी, अधिवक्ता थमन खड़का, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव, शासकीय अधिवक्ता अमित सेठ और हस्तक्षेपकर्ता पीयूसीएल की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ हाजिर हुए।
कोर्ट रूम लाइव
वरिष्ठ अधिवक्ता श्री तिवारी: हमारे मुवक्किल ने काफी रॉ मटेरियल खरीद लिया था, ऐसे में यदि हमने आपूर्ति न की तो उन्हें भारी नुकसान होगा।
सीजे: यदि आपके मुवक्किल को कोई नुकसान हो रहा है तो वो क्षतिपूर्ति के लिए दावा पेश करने स्वतंत्र होंगे।
महाधिवक्ता: विगत 13 मार्च के आदेश पर 5 माह के लिए शार्ट टर्म टेण्डर जारी हो चुका है। चयनित ठेकेदार 5 मई से पोषण आहार की सप्लाई कर सकेंगे, लेकिन वर्तमान स्टाक 1 से 7 अप्रैल के बीच समाप्त हो जाएगा। अभी प्रति माह जरूरत 13600 मीट्रिक राशन की है, जबकि एमपी एग्रो द्वारा केवल 1850 मीट्रिक टन की आपूर्ति कर पा रहा है। ऐसे में 11750 मीट्रिक टन राशन की सप्लाई उत्तरप्रदेश, राजस्थान या उत्तराखण्ड में सप्लाई करने वाले ठेकेदारों से खरीदने की अनुमति दी जाए।
सीजे: वर्ष 2009 से लेकर वर्ष 2018 तक सरकार उसी मैनेजमेंट को फॉलो कर रही थी। जो गलत करने वाली कंपनियां थीं, क्या उन्हें फायदा पहुंचाकर उन्हें प्रश्रय नहीं दिया गया?
महाधिवक्ता: हमने तीनों दागी कंपनियों को हटा दिया है।
श्री तिवारी: किसी निजी कंपनी या एजेन्सी के बजाए एमपी एग्रो को ही ठेका आपूर्ति जारी रखने के निर्देश दिए जाएं।
सीजे: एमपी एग्रो तो इस मामले में छोटा खिलाड़ी है। असली बड़े खिलाड़ी तो निजी ठेकेदार थे।
सिद्धार्थ सेठ: यह मुद्दा पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी (पीयूसीएल) द्वारा सुप्रीम कोर्ट मंे उठाया गया था। हमारे पास पूरे आंकड़े मौजूद हैं। पोषण आहार को लेकर भविष्य में कोई गड़बड़ी सामने न आए, इसके लिए हमें मामलों में पक्षकार बनाकर हमारा पक्ष भी सुना जाए।
Created On :   28 March 2018 1:00 PM IST