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जेडीए की 500 करोड़ की भूमि हो रही खुर्द-बुर्द -किसकी शह पर चल रहा है पूरा गोलमाल
डिजिटल डेस्क जबलपुर । जेडीए की स्वामित्व वाली जमीन पर भू-माफिया कब्जा कर निर्माण करे और जेडीए आँखे मूंदा रहे। यह घोटाला शताब्दीपुरम की 58 एकड़ बेशकीमती जमीन के साथ हुआ। जिसकी कीमत 500 करोड़ से ज्यादा की बताई जाती है। उल्लेखनीय है कि शताब्दीपुरम और विजय नगर के चलते हुए दफ्तर हैं, जहाँ कर्मचारी-अधिकारी लाखों रुपए वेतन ले रहे हैं। जिस जमीन पर जेडीए के आलावा किसी और का मालिकाना हक नहीं हो सकता है उस बेशकीमती जमीन को भू-माफिया आहिस्ता-आहिस्ता डकारता रहा। ये सब जेडीए के कर्ताधर्ता की आँखों के सामने या यूँ कहे कि आपसी सहमती से हुआ। विजय नगर शताब्दीपुरम से लगी 58 एकड़ बेशकीमती जमीन को लगातार खुर्द-बुर्द किया जा रहा है और इस आपराधिक षड्यंत्र को संबंधित सरकारी विभाग मंजूरी दे रहा है। इस 58 एकड़ भूमि का मूल्य 500 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इसके लिए जेडीए 14 मार्च 2018 को अधिसूचना जारी कर चुका है कि इस भूमि की खरीद फरोख्त व किसी भी तरह का निर्माण शून्य होगा उसके बाद जेडीए आँखें मूंदे रहा और नगर निगम तथा टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग भू-माफिया के साथ दोस्ती निभा कर मंजूरी के आदेश देते रहे।
इन खसरों में जेडीए के अलावा किसी अन्य को भूस्वामित्व प्रदान नहीं होगा, न ही क्रय-विक्रय
दस्तावेजों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर सुधार न्यास अधिनियम 1960 की धारा 71(2) के राजपत्र में प्रकाशन दिनांक 5 अक्टूबर 1979 के उपरांत सर्व भार मुक्त होकर राज.नि.म. 1 न.ब. 643 प.ह.नं. 25/31 ग्राम लक्ष्मीपुर तहसील जिला जबलपुर खसरा नंबर 15,16,17,18,19, 20,21,40,39/1, 39/2, 38, 37/1, 37/2, 36,35, 34/1, 34/2, 33,32, 57, 58, 60, 56/1, 56/2, 56/3, 56/4, 56/5, 55/1, 54/1, 54/2, 54/3, 53/1, 64/1, 64/2, 65,66, 128, 67, 68/1, 68/2, 68/3, 68/4, 69/1, 69/2, 69/3, 69/4, 71, 70, 72, 73/1, 92/1, 90/1, 91/1, 95, 89/12 ब, 86, 87,88, 96, 94, 93, 97/1, 97/2, 97/3, 101, 102, 103 का प्रकाशन न्यास द्वारा किया जा चुका है। भूमि प्रकाशन तिथि से सर्वभार रहित होकर न्यास में निहित हो चुकी है। प्रकाशन तिथि के बाद न्यास के सिवाय दूसरे किसी का भी भूमि पर स्वामित्व व हक नहीं रहेगा। नगर सुधार न्यास अधिनियम 1960 की धारा 71(2) के प्रकाशन के बाद के समस्त क्रय-विक्रय शून्य व निष्प्रभावी होते हैं।
सिर्फ 20 प्रतिशत मुआवजे के अधिकारी हैं भूमि स्वामी
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्राधिकरण के अभ्यावेदन पर शासन ने दिनांक 5 दिसम्बर 2005 को उपरोक्त ग्रीन बेल्ट की भूमि के संबंध में त्रुटि सुधार के लिए जबलपुर विकास प्राधिकरण को अनुमति प्रदान की गई। प्राधिकरण द्वारा अधिनियम 1960 की धारा 71(2) को डीनोटिफिकेशन प्रावधान न होने के कारण उपरोक्त ग्रीन बेल्ट की भूमि के खसरे का प्रकाशन नहीं हो पाया। इसी कारण से उपरोक्त खसरों का भूमि स्वामी आज भी विकास प्राधिकरण है। इस भूमि का मद वर्ष 2008 में मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट से आवासीय में परिवर्तित हो चुका है। अत: इस भूमि का छोड़ा जाना अब किसी भी प्रकार से मुमकिन नही हैं। भूमि स्वामी प्राधिकरण प्रचलन नीति के अनुसार विकसित भूखण्ड मुआवजा प्राप्त करने का अधिकारी है।
दी गई समस्त एनओसी को जेडीए कर चुका है निरस्त
बोर्ड बैठक में जबलपुर विकास प्राधिकरण द्वारा 22 मार्च 2018 को उपरोक्त खसरों में जारी की गई समस्त एनओसी को निरस्त कर चुका है एवं इसकी सूचना नगर निगम जबलपुर, नगर तथा ग्राम निवेश जबलपुर कार्यालय को व संबंधित व्यक्तियों को पत्र द्वारा दी जा चुकी है। इसके बावजूद भी प्राधिकरण की संपत्तियों पर गोलमाल का दौर जारी है। बोर्ड बैठक में शासन से जेडीए ने दिशा-निर्देश चाहा था। इसी तरह अगली बोर्ड बैठक दिनांक 28 नवंबर 2020 को आयोजित हुई। उसमें शासन द्वारा जबलपुर विकास प्राधिकरण को निर्देशित किया गया है कि आयुक्त सह संचालक नगर तथा ग्राम निवेश के माध्यम से स्पष्ट बोर्ड प्रस्ताव अनुमोदित कराकर प्रस्तुत करें।
Created On :   25 Jun 2021 2:36 PM IST