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सड़क दुर्घटना में पैर गवाने वाले युवक को 72 लाख का मुआवजा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (न्यायाधिकरण) ने सड़क दुर्घटना में पैर गंवानेवाले 30 वर्षीय एक युवक को 72 लाख रुपए मुआवजा प्रदान किया है। न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा है कि इस हादसे के चलते युवक अपने जीवन का आनंद नहीं ले पाएगा। उसे जीवन में कई बातों को लेकर समझौता करना पड़ेगा। मामला अंधेरी निवासी भरत बेरा से जुड़ा है। जिनकी मोटर साइकिल को तेज रफ्तार ट्रक ने रात के दो बजे ठोकर मार दी थी। साल 2012 के इस हादसे में उनका बाय पैर कट गया था जबकि मोटर साइकिल की पिछली सीट पर बैठे उनके दोस्त की मौत हो गई थी। न्यायाधिकरण ने मामले से जुड़े तथ्यों व बेरा की उम्र पर गौर करने के बाद कहा कि सड़क हादसे में बेरा को जो चोट लगी है उसके चलते उसे पूरे जीवन भर पीड़ा व परेशानी का सामना करना पड़ेगा। बेरा ऐसी कई गतिविधि को नहीं कर पाएगे जो आमतौर पर सामान्य इंसान कर पाता है। इस तरह से बेरा अपने जीवन का पूरा आनंद नहीं ले पाएंगे।
बेरा ने नवंबर 2013 में सड़क हदासे के बाद ट्रक की मालकिन हीरा देवी और आईसीआईसीआई लोमबार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ न्यायाधिकरण में मुकदमा दायर कर मुआवजे की मांग की थी। आवेदन के मुताबिक बेरा साल 2012 में जब मोटर साइकिल से कल्याण जा रहे थे तभी पीछे से तेज रफ्तार से ट्रक ने रात के समय उनकी मोटर साइकिल को ठोकर मार दी थी। इस हादसे में उनके दोस्त की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी। जबकि बेरा बुरी तर जख्मी हो गए थे। इस हादसे में उनका एक पैर चला गया था।
बेरा ने आवेदन में कहा था कि उनका रेस्टोरेंट से जुड़ा कारोबार था। हादसे से पहले वे हर माह 70 हाजर रुपए कमाते थे। लेकिन इस हादसे के चलते उन्हें अपना रेस्टोरेंट बंद करना पड़ा है। इसलिए उन्हें एक करोड़ 33 लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया जाए। क्योंकि हादसे के चलते उनकी आमदनी बुरी तरह प्रभावित हुई है। बेरा के आयकर से जुड़े रिकार्ड व अन्य तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायाधिकरण ने कहा कि हादसे में शरीर के किसी अंग का प्रभावित होना व्यक्ति को मानसिक व शारिरिक दोनों तरह से प्रभावित करता है। इसके बाद व्यक्ति को नए तरीके से अपने जीवन को व्यवस्थित करना पड़ता है। इस तरह से न्यायाधिकरण ने बेरा को 72 लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया। न्यायाधिकरण ने कहा कि बेरा को इस हादसे के चलते हुई मानसिक पीड़ा के लिए डेढ लाख रुपए जबकि जीवन में असुविधा के लिए दो लाख रुपए अलग से दिए जाए।
Created On :   22 Oct 2021 9:20 PM IST