कटनी नदी पुल हादसा, चार इंजीनियर सस्पेंड,  ठेकेदार ब्लैक लिस्टेड

Katni river bridge accident four engineer suspend contractor black listed
कटनी नदी पुल हादसा, चार इंजीनियर सस्पेंड,  ठेकेदार ब्लैक लिस्टेड
कटनी नदी पुल हादसा, चार इंजीनियर सस्पेंड,  ठेकेदार ब्लैक लिस्टेड

डिजिटल डेस्क,कटनी। कटनी नदी पर बन रहे पुल के ढह जाने के संबंध में शासन ने प्रभारी कार्यपालन यंत्री सहित चार इंजीनियरों को सस्पेंड कर ठेकेदार को भी ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। निर्माणाधीन ढह चुके पुल पर मौजूद इंजीनियर नरेन्द्र कुमार ने गुरूवार को ब्रिज कॉरपोरेशन व बीएण्डआर  के अफसरों के निरीक्षण के बाद दैनिक भास्कर से चर्चा करते हुए बताया कि इस पुल की ड्राइंग कई बार बदली गई। पहले इसे धनुषाकार बनाया जाना तय हुआ लेकिन इस पर आम सहमति नहीं बनीं। एक तो इसके लिए जगह ज्यादा लगनी थी और दूसरे खतरे भी बहुत थे। क्योंकि देश में सौ मीटर से भी अधिक लंबाई का इस तरह का कोई पुल इससे पहले कहीं नहीं बना था। कोई भी इंस्टीट्यूट डिजाइन फाइनल करने तैयार नहीं था।

यह है आदेश

उच्चस्तरीय पुल निर्माण कार्य में लापरवाही पाए जााने पर ब्रिज कॉरपोरेशन के मुख्य अभियंता ए.आर. सिंह ने ठेकेदार मेसर्स रामसज्जन शुक्ला निवासी सिरमौर जिला रीवा को ब्लेक लिस्ट कर दिया है। वहीं प्रमुख अभियता आर.के.मेहरा ने लोक निर्माण विभाग सेतु संभाग जबलपुर के प्रभारी कार्यपालन दिनेश कौरव, सहायक यंत्री योगेश वत्सल, उपयंत्री जे.ए.दुर्रानी एवं राजेश खरे को निलंबित करने का आदेश जारी किया। ब्रिज कॉरपोरेशन के मुख्य अभियंता द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कार्यादेश 5 अक्टूबर 2011 को जारी किया गया था। अनुबंध के तहत 15 जून 2014 को कार्य पूर्ण हो जाना था। इसके बावजूद प्रगति नहीं रही। जिसके बाद ठेकेदार का पंजीयन कालीसूची में दर्ज किया गया था। अपील के बाद पंजीयन बहाल करते हुए समयावधि 15 जून 2017 तक दिया गया। इसके बावजूद भी कार्य को पूर्ण नहीं किया गया। फिर से 15 जून 2019 तक की अवधि विशेष परिस्थितियों में दी गई। इस समय तक कार्य को पूरा नहीं किया गया। 24 जुलाई को लापरवाही से कांक्रीट क्षतिग्रस्त हो गया।

नई डिजाइन पर भी ठेकेदार काम करने नहीं थे तैयार

विभाग के अफसरों ने 90 मीटर लंबे मुख्य पुल की नई डिजाइन बनाई। जिस पर फिर यह पेच फंस गया कि बिना पिलर के 90 मीटर का पुल कैसे बनेगा और कितना सफल रहेगा। ठेकेदारों की आपत्तियों के बाद फिर संशोधन हुआ और इसमें सेंटर में 45 मीटर बाद एक पिलर देना तय किया गया। इस डिजाइन को फाइनल एप्रूव्हल मिल गई लेकिन ठेकेदारों की आशंका बरकरार रही। वे आशंकित थे कि नब्बे मीटर का आरसीसी पुल सक्सेस नहीं होगा।

क्षमता पर उठाए गए थे सवाल

विभाग की एप्रूव्हड डिजाइन पर भी ठेकेदार यूं काम करने तैयार नहीं थेए क्योंकि बिना पिलर या फिर सिंगल पिलर जिस पर 45.45 मीटर के दो लंबे स्लैब पडऩे होंए उस पर भारी वाहनों का गुजरना खतरे से खाली नहीं रहता। ऐसे पुलों कीए खास तौर पर आरसीसी पुलों की भार क्षमता बहुत ज्यादा नहीं रहती है। जैसे इस निर्माणाधीन पुल के अध्याय से जुड़े ठेकेदार व उनके इंजीनियर बताते हैं कि उस समय तो अफसरों ने स्टील फ्रेब्रिकेशन के माध्यम से पुल निर्माण की बात कह दी और नई डिजाइन पर काम करने ठेकेदारों को तैयार कर लिया। 

Created On :   26 July 2019 8:27 AM GMT

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