क्यों अटक गई जबलपुर की अमृत योजना ?

Know why the Amrit scheme of Jabalpur did not pass in Bhopal
क्यों अटक गई जबलपुर की अमृत योजना ?
क्यों अटक गई जबलपुर की अमृत योजना ?

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। इसे MIC के विवादों का परिणाम ही कहेंगे कि जबलपुर के लिए पेयजल व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार की 9149.59 करोड़ की महत्वाकांक्षी अमृत योजना अटक गई है। भोपाल में सोमवार को स्टेट लेवल टेक्नीकल कमेटी (SLTC) की बैठक में प्रदेश के अन्य शहरों के प्रोजेक्ट तो पास कर दिए गए, लेकिन जबलपुर के अमृत और सीवर लाइन के दोनों प्रोजेक्ट एक तरह से फेल कर दिए गए। बैठक में नगर निगम जबलपुर से शामिल होने गए अधिकारियों से कमेटी से ऑफिसरों ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि अमृत के लिए दिए गए निर्धारित समय में औपचारिकताओं को पूरा नहीं किया गया, जिसके कारण अभी अमृत योजना के काम को स्वीकृति नहीं दी जा सकती। 

वहीं सीवर लाइन के काम को भी रोक लिया गया है। यह काम करीब 9393 करोड़ का है, जिसके लिए नगर निगम ने पूरी फाइल नहीं भेजी थी। अधिकारियों का कहना था कि सीवर प्रोजेक्ट की पूरी कंपलीट फाइल लेकर आइए। SLTC की मीटिंग में अमृत योजना के अटकने और सीवर प्रोजेक्ट वर्क को अप्रूवल नहीं मिलने से अब नगर निगम को नए सिरे से कवायद करनी होगी और दोनों प्रोजेक्ट फिर से भेजने होंगे, तब जाकर कोई सुनवाई हो सकती है। इन दोनों प्रोजेक्ट को भेजने के लिए कितना समय दिया गया है, अभी इसकी कोई जानकारी नहीं है। इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि शहर की लचर पेयजल प्रणाली और सीवर लाइन के आधे-अधूरे कार्यों को अभी और भी कई माह झेलना ही होगा। 

शहर में बननी थी 16 टंकियां  
करीब 9150 करोड़ की अमृत योजना के तहत शहर व ग्रामीण क्षेत्रों की 6 विधानसभाओं में जिन 16 उच्च स्तरीय पानी की टंकियों का निर्माण कराया जाना था। सबसे अधिक 8 टंकियों का निर्माण पनागर विधानसभा में होना था। वहीं केंट विधानसभा में 3 टंकियों के निर्माण के साथ पश्चिम विधानसभा में 2, बरगी विधानसभा में 1 व पूर्व और उत्तर मध्य में 1-1 टंकियों का निर्माण होना था। इन सभी टंकियों को रमनगरा प्लांट से जोड़ने की योजना थी। इस जगह पर नया पंप हाऊस बनाकर इन टंकियों को भरने का कार्य किया जाना था। ताकि इन टंकियों से शहर की 4 लाख आबादी को नर्मदा का जल उपलब्ध हो सके।  

इस विवाद ने फेरा पानी
सारे विवाद की जड़ शहर की पेयजल व्यवस्था को बेहतर बनाने अमृत योजना के तहत ठेकेदार को शहर के सभी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट और पाइप लाइन के मेंटेनेंस का काम सौंपा जाना है। वॉटर सप्लाई का पूरा मेंटेनेंस ठेकेदार को दे दिया जाएगा तो जल विभाग के पास कोई काम नहीं रहेगा। इसी को लेकर विवाद चल रहा था।

ग्वालियर के 9720 करोड़ के प्रोजेक्ट पास  
SLTC बैठक में एक तरफ जहां ग्वालियर के करीब 9720 करोड़ के सभी प्रोजेक्ट पास कर दिए गए। वहीं भोपाल की अमृत योजना करीब 9284.43 करोड़ सहित अन्य प्रोजेक्टों को भी अप्रूवल कर दिया गया। इतना ही नहीं अपने शहर की योजनाओं को पास कराने में रतलाम, मुरैना, सीहोर जैसे छोटे शहरों ने भी बाजी मार ली और आगामी कुछ दिनों में वहां काम भी शुरू हो जाएंगे। वहीं प्रदेश में महानगरों में शामिल जबलपुर अपनी योजनाओं को काम शुरू कराने के लिए मिलने वाले अप्रूवल को दिलाने में फिसड्डी रहा। महापौर व MIC के बीच चले मतभेद का खामियाजा शहर को भुगतना पड़ा। 
 

Created On :   29 Aug 2017 8:14 AM GMT

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