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40 साल पहले अधिग्रहीत जमीनों का जबरदस्ती न लिया जाए कब्जा
कटनी के माधव नगर के भूमि मालिकों को मिली हाईकोर्ट से राहत, मप्र सरकार व अन्य को नोटिस जारी
डिजिटल डैस्क जबलपुर । कटनी के माधव नगर इलाके में रहने वाले उन आधार दर्जन वाशिन्दों को हाईकोर्ट से राहत मिली है, जिनकी जमीनें 40 साल पहले अधिग्रहित की गईं थीं। जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की एकलपीठ ने कहा है कि यदि याचिकाकर्ता अपनी-अपनी जमीनों पर अभी भी काबिज हों तो उनसे जबरदस्ती कब्जा न लिया जाए। इसके साथ ही अदालत ने याचिका में बनाए गए अनावेदकों को नोटिस जारी करके 6 सप्ताह में जवाब पेश करने कहा है। यह मामला कटनी के माधव नगर में रहने वाले रामचंद्र, विजय कुमार, दुलोचंद असरानी, मोतीराम, आशा झमनानी और नंदलाल असरानी की ओर से दायर किया गया है। आवेदकों का कहना है कि उनकी जमीनें 40 वर्ष पहले राज्य शासन द्वारा अधिग्रहीत की गईं थीं। यह कार्रवाई कागजों तक ही सीमित रही और अधिग्रहण के बदले याचिकाकर्ताओं को न तो कोई मुआवजा दिया गया और न ही शासन से कब्जा प्राप्त किया। जमीनों के एक हिस्से का डायवर्सन कर दिया गया, लेकिन दूसरे हिस्से के राजस्व रिकार्ड में आज भी याचिकाकर्ता भू मालिक के रूप में दर्ज हैं। 40 वर्षों से खाली पड़ी भूमि पर याचिकाकर्ताओं के कब्जे होने को आधार बनाकर यह याचिका दायर करके उनसे जबरदस्ती जमीन लिए जाने की कार्रवाई को चुनौती दी गई। याचिका में मप्र सरकार के राजस्व सचिव, कलेक्टर कटनी व भू-अधिग्रहण अधिकारी को पक्षकार बनाया गया है। मामले पर हुई प्रारंभिक सुनवाई के दौरान आवेदकों की ओर से अधिवक्ता एके आदित्य जैन ने पक्ष रखा। उनकी दलील थी कि जमीन के अधिग्रहण के पीछे कोई न कोई उद्देश्य रहता है। याचिकाकर्ताओं की जमीनें भी चालीस साल पहले अधिग्रहित तो की गईं, लेकिन ऐसा करने से पहले कोई उद्देश्य नहीं बताया गया। भू-अधिग्रहण अधिनियम में दिए गए नियमों का हवाला देकर उन्होंने कहा बिना उद्देश्य और बिना मुआवजा दिए किया गया अधिग्रहण की कार्रवाई विधि सम्मत नहीं मानी जाएगी। मामले पर हुई प्रारंभिक सुनवाई के बाद अदालत ने अंतरिम आदेश देकर अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
Created On :   28 Dec 2019 1:36 PM IST