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सैनिक सम्मान के साथ सेना के जवान सुखराम सिंह को अंतिम विदाई।

डिजिटल डेस्क, सतना। भारत-चीन बार्डर पर तैनाती के दौरान चार माह पहले बर्फीले तूफान में फंसकर घायल होने के बाद कोलकाता और लखनऊ के आर्मी अस्पतालों में इलाजरत रहे राजपूताना रेजीमेंट की 23वीं बटालियन के हवलदार सुखराम सिंह (35) का बीते दिन लखनऊ में निधन हो गया था, जिनका पार्थिव शरीर सड़क मार्ग से देर रात गृहग्राम मेहुती, थाना कोटर पहुंचा, जहां अंतिम दर्शनों के बाद शाम 5 बजे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। मुखाग्नि ज्येष्ठ पुत्र ऋषि सिंह (12) ने दी। इससे पूर्व मध्यप्रदेश शासन के राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल, सांसद गणेश सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी, कलेक्टर अनुराग वर्मा, एसपी धर्मवीर सिंह, एसडीएम पीएस त्रिपाठी, हेड क्वार्टर डीएसपी ख्याति मिश्रा, रिजर्व इंस्पेक्टर सत्यप्रकाश मिश्रा समेत राजनैतिक-सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी व ग्रामीणजनों ने जवान के घर पहुंचकर पुष्पचक्र व पुष्प गुच्छ अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
भाई के इंतजार में रुका अंतिम संस्कार-
जवान सुखराम सिंह के छोटे भाई जागवेन्द्र सिंह भी सेना में हैं, और वर्तमान समय में उनकी तैनाती असम में थी। बड़े भाई के देहांत की खबर लगने पर वह छुट्टी लेकर हवाई जहाज से प्रयागराज आए और वहां से शाम 4 बजे गांव पहुंचे, उनके इंतजार में ही अंतिम संस्कार का समय आगे बढ़ाया गया। जागवेन्द्र के आने पर अंतिम यात्रा घर से शुरू होकर तालाब के किनारे स्थित मुक्तिधाम में पहुंची, जहां जबलपुर से आई राजपूताना रेजीमेंट के जवानों की टुकडृी ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया और हवाई फायर के बाद शस्त्र झुकाकर मातमी धुन बजाते हुए अपने साथी को विदाई दी।
सांसद ने पिता और चाचा से कराई सीएम की बात-
सांसद गणेश सिंह ने सुबह गांव जाकर शोक संवेदना जताने के साथ ही जवान के पिता जनार्दन सिंह और चाचा सुरेन्द्र सिंह से सीएम शिवराज सिंह चौहान की बात कराई। 30 सेकंड तक हुए वार्तालाप में सीएम ने संवेदना जताते हुए राज्य शासन की तरफ से परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि, पूरी सरकार दुख की इस घड़ी में आपके साथ खड़ी है।
शोक में डूबा गांव और परिवार-
पिछले चार माह से सुखराम सिंह अलग-अलग अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे, मगर तब पिता जनार्दन सिंह, मां बालकुमारी, पत्नी आशा सिंह, पुत्र ऋषि (12), राज (10), बड़े भाई सुखेन्द्र सिंह और छोटे भाई राघवेन्द्र सिंह समेत पूरे परिवार ने इस उम्मीद में खुद को संभाल रखा था, कि एक दिन वे स्वस्थ होकर घर लौट आएंगे, मगर 13 अप्रैल का दिन उनके जीवन में दुखों का सैलाब लेकर आया और सुखराम सिंह का साथ हमेशा के लिए छूट गया। पत्नी और मां के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उनकी हालत देखकर परिवार और रिश्तेदारों समेत उपस्थित लोगों की आंखें भी नम हो गईं।
Created On :   14 April 2022 8:03 PM IST