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बंद होगी आटोनॉमस शैक्षणिक संस्थानों की मनमानी, हाईकोर्ट ने कहा-फीस नियंत्रण से जुड़ा कानून लागू

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने निजी स्वायत्त (आटोनॉमस) शैक्षणिक संस्थानों को तगड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि ऐसे संस्थानों को अपनी फीस को लेकर सरकार के फीस नियामक प्राधिकरण से मंजूरी लेना जरुरी है। क्योंकि महाराष्ट्र अनऐडेड प्राइवेट प्रोफेसनल एज्युकेशन एक्ट 2015 आटोनॉमस शैक्षणिक संस्थानों पर लागू होता है। जबकि आटोनामस शैक्षणिक संस्थानों ने दावा किया था कि उनके पास अपने पाठ्यक्रम की फीस तय करने का अधिकार है। यह कानून उन पर लागू नहीं होता है। जस्टिस भूषण गवई व जस्टिस बीपी कुलाबावाला की खंडपीठ ने केजे सोमैया कालेज आफ इंजीनियरिंग व अन्य निजी आटोनामस शैक्षणिक संस्थानों की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।
स्वायत्त शैक्षणिक संस्थान को फीस नियामक प्राधिकरण से लेनी होगी मंजूरी
खंडपीठ ने कहा कि शिक्षा के खर्च के आधार पर आटोनामस शैक्षणिक संस्थान अपने यहां पढाए जानेवाले पाठ्यक्रमों की फीस तय कर सकते है। लेकिन प्राधिकरण का यह काम है कि वह देखे की ऐसे संस्थानों की ओर से तय की गई फीस शिक्षा के व्यावसायीकरण के दायरे में तो नहीं आती है। खंडपीठ ने कहा कि आटोनामस शैक्षणिक संस्थानों को फीस तय करने के संबंध में कानून में तय किए गए मानकों का पालन करना ही होगा और फीस नियामक प्राधिकरण को यह देखना होगा कि शैक्षणिक संस्थानों ने फीस तय करने से जुड़े मानकों व अनुपात के तहत फीस निर्धारित की है या नहीं।
प्राधिकरण तार्किक और युक्तिसंगत रुख अपनाए
कोर्ट ने कहा कि ऐसा करते समय प्राधिकरण तार्किक और युक्तिसंगत रुख अपनाए। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि आटोनामस शैक्षणिक संस्थान अपने मुनाफे से 15 फीसदी रकम ज्यादा ले सकते है। इससे ज्यादा की अनुमति उन्हें नहीं है। याचिका में आटोनामस शैक्षणिक संस्थानों ने दावा किया था कि फीस नियमन और महाराष्ट्र पबल्कि यूनिवर्सिटी एक्ट उन्हें फीस निर्धारित करने,पाठयक्रम तय करने और प्रशासन चलाने का अधिकार देता हैं। इसलिए सरकार का फीस नियामक प्राधिकरण उनके संस्थान में दखल नहीं दे सकता है। उन्हें इस प्राधिकरण से मंजूरी लेने की जरुरत उन्हें नहीं है। लेकिन खंडपीठ ने आटोनामस शैक्षणिक संस्थान की ओर से दी गई दलील को स्वीकार करने से इंकार कर दिया।
Created On :   25 Jan 2018 6:24 PM IST