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लाईसेंस न मिलने पर अदालत पहुंचा वकील, हाईकोर्ट ने कहा - हथियार रखने का अधिकार है नियंत्रित
डिजिटल डेस्क, मुंबई। हथियार रखने का हक भारत में नियंत्रित अधिकार है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही जिसमें आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने के हक को मौलिक अधिकार का हिस्सा घोषित करने का निवेदन किया गया था। अधिवक्ता अमृतपाल खालसा ने इस संबंध में याचिका दायर की थी।न्यायमूर्ति पीबी वैराले की खंडपीठ के सामने याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई हुई। याचिका के मुताबिक याचिकाकर्ता (श्री खालसा) ने ठाणे पुलिस आयुक्त के पास हथियार के लाइसेंस के लिए जनवरी 2020 आवेदन किया था। लेकिन तय समय सीमा के भीतर आवेदन पर निर्णय नहीं किया गया। याचिका के मुताबिक याचिकाकर्ता के आवेदन पर निर्णय लेने में काफी विलंब हुआ है। याचिका में हथियार रखने को जीवन के अधिकार के अंतर्गत इसे मौलिक अधिकार का हिस्सा घोषित करने की भी मांग की गई थी। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को नए सिरे से नए फॉरमेट में हथियार के लिए लाइसेंस के आवेदन करने को कहा। इसके साथ ही कहा कि हथियार रखना भारत में एक विनियमित अथवा नियंत्रित अधिकार है। खंडपीठ ने संबंधित प्राधिकरण को याचिकाकर्ता के आवेदन पर 6 सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। खंडपीठ के इस निर्देश के बाद याचिकाकर्ता ने कहा कि वे अब याचिका में उस मांग पर जोर नहीं देंगे जिसमें आत्म रक्षा के लिए हथियार रखने के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करने की मांग की गई थी
Created On :   11 May 2021 8:20 PM IST