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विधायकों को फिर से पढ़ाया जाएगा संसदीय आचरण का पाढ़, बांटी गई आचर संहिता पुस्तिका
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधानमंडल परिसर में दूसरी पार्टियों के नेताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी, उनकी नकल करने और चिढ़ाने के लिए आवाज निकालने का मामलासामने आने के बाद अब विधायकों को नए सिरे से संसदीय आचरण का पाठ पढ़ाने का फैसला किया गया है। सभी विधायकों को ईमेल के जरिए विधानभवन परिसर में किए जाने वाले आचरण की जानकारी देने के लिए पुस्तिका भेजी गई है।
विधानमंडल की आधिकारिक वेबसाइट पर भी पुस्तिक उपलब्ध कराई गई है साथ ही सदस्यों को डाक के जरिए भी यह पुस्तिका भेजी जाएगी। विधानसभा उपाअध्यक्ष नरहरि क्षिरवाल ने विधानसभा में जानकारी दी कि संसदीय सभ्याचार, शिष्टाचार और आचारसंहिता को लेकर एक बैठक की गई। जिसमें झिरवाल के साथ गुट नेता, विरोधी पक्ष नेता और सभी दलों के सचेतक मौजूद थे। बैठक के बाद फैसला किया गया कि सभी सदस्यों को बताया जाएगा कि उन्हें सदन के भीतर और विधानमंडल परिसर में किस तरह का आचरण करना चाहिए।
हम कुत्ते बिल्लियों के प्रतिनिधि नहीं
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि सदस्यों को यह समझना चाहिए कि हम कुत्ते, बिल्लियों, मुर्गियों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। लाखों लोग हमें चुनकर भेजते हैं हमें इसका एहसास होना चाहिए। विधानसभा परिसर में जानवरों की आवाज निकालना मतदाताओं के साथ विश्वासघात और उनका अपमान है। सदस्यों के आचरण के आधार पर ही विधानसभा की छवि बनती है। पिछले कुछ सालों में कुछ सदस्यों के बर्ताव से सदन की छवि को धक्का लगा है। अब सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण होता है इसलिए सदस्यों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। पवार ने कहा कि लोग मुख्यमंत्री तक की कुर्सी पर बैठ जाते हैं कुछ दिनों पहले मुझे एक सदस्यों को इसके लिए टोकना पड़ा।
12 महीने के लिए बाहर मत भेजिए
अजित पवार ने परोक्ष रुप से माना कि भाजपा के 12 विधायकों का साल भर के लिए निलंबन गलत था। विधायकों के आचरण के मुद्दे पर पवार ने कहा कि गलत आचरण पर सदस्यों को कुछ घंटों या एक दिन के लिए बाहर किया जा सकता है लेकिन उन्हें पूरे साल के लिए निलंबित नहीं किया जाना चाहिए। विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा कि बदले की भावना से विधायकों को एक साल के लिए नहीं निलंबित किया जाना चाहिए था। ऐसा करके हम न्यायपालिका को हस्तक्षेप का मौका देते हैं।उन्होंने कहा कि हर अपराध पर फांसी की सजा नहीं दी जा सकती। गौरतलब है कि पिछले दिनों पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे के विधानभवन में प्रवेश के दौरान भाजपा विधायक नितेश राणे ने म्याऊ-म्याऊ कह कर चिढ़ाने की कोशिश की थी।
अधिकारी करते हैं अपमान-मुनगंटीवार
भाजपा के सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि सदस्यों को अच्छा आचरण सिखाएं यह अच्छी बात है लेकिन अधिकारियों का क्या जो जन प्रतिनिधियों का अपमान करते हैं। विधायकों को 2-2 घंटे ऑफिस के बाहर बिठाकर रखते हैं। शिवसेना के भास्कर जाधव ने कहा कि कार्यकर्ताओं की गाड़ी पकड़े जाने पर हवलदार तक हमसे बात करने को तैयार नहीं होता। किसी कर्मचारी से तेज आवाज में बात करने पर धारा 353 (ए) के तहत मामला दर्ज हो जाता है। गृहनिर्माण मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि धारा 353 (ए) पिछली सरकार लाई थी इसलिए अब विपक्ष ही इसे वापस लेने का प्रस्ताव लाए।
Created On :   28 Dec 2021 8:41 PM IST